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    रिफाइंड, फिल्टर्ड या सरसों, कौन-सा तेल है ज्यादा फायदेमंद

    कई लोग बर्षों से एक ही तेल का इस्तेमाल करते हैं. चाहे पराठे बनाना हो, सब्जी बनाना या फिर पूड़िया तलनी हो, सभी एक ही तेल में बनाते हैं. लेकिन ऐसा करना कितना सही है? आइए हम आपको बताते हैं कि किस तेल में क्या पकाना चाहिए.

    विधि

    कई लोग बर्षों से एक ही तेल का इस्तेमाल करते हैं. चाहे पराठे बनाना हो, सब्जी बनाना या फिर पूड़िया तलनी हो, सभी एक ही तेल में बनाते हैं. लेकिन ऐसा करना कितना सही है? आइए हम आपको बताते हैं कि किस तेल में क्या पकाना चाहिए.

    पहले यह जान लीजिए कि तेल में का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए. दरअसल, तेल से सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ता बल्कि इससे शरीर को ऊर्जा भी मिलती है. भोजन में कई तरह के विटामिन फैट में घुलकर ही शरीर मे पहुंचते हैं. फैट में घुलनशील विटामिन A , विटामिन D, विटामिन E, विटामिन K आदि के अवशोषण के लिए तेल या घी आवश्यक होता है.

    क्या अंतर है रिफाइंड और फिल्टर्ड तेल में
    ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होने वाला रिफाइंड प्रोसेस किया हुआ होता है. इसे शुद्ध करने के लिए इसमें कई प्रकार के ब्लीच और कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा करने से तेल के वास्तविक गुण खत्म हो जाते हैं. साथ ही तेल का रंग, स्वाद और खुशबू चली जाती है. इतना ही नहीं तेल के पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं. हालांकि इस तेल से बना खाने का स्वाद ओरिजनल होता है.
    बचे तेल को कितनी बार और इस्तेमाल में लेना चाहिए

    इसके इतर फिल्डर्ड तेल में पोषक तत्व अधिक पाए जाते हैं, लेकिन फिल्टर्ड तेल के स्ट्रॉन्ग स्वाद और खुशबू के कारण इससे बने खाने का ओरिजिनल टेस्ट दब जाता है. फिल्टर्ड तेल की शेल्फ लाइफ रिफाइंड की अपेक्षा कम होती है. फिल्टर्ड ऑयल से किसी-किसी को एलर्जी भी हो सकती है. इसके बावजूद यह रिफाइंड ऑयल से बेहतर होता है.
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    खाने के लिए ऐसा तेल बढ़िया होता है
    खाने के लिए वह तेल अच्छा होता है जिसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड (SFA) कम हो और मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिट (MUFA) व पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (UFA) ज्यादा होत. सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट नुकसान अधिक करते हैं. इनके कारण दिल की बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है. इनसे रक्त में LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है जो नुकसान करता है. ये धमनियों को अवरुद्ध कर सकते है.

    अनसैचुरेटेड फैट शरीर के लिए फायदेमंद होते है. जो कि HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता है. साथ ही यह LDL को कम भी करते हैं इसलिए इनकी तेल में अधिक मात्रा होनी चाहिए. आप तेल के पैकेट में इनकी मात्रा देख सकते हैं.
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    स्मोक पॉइंट तय करता है तेल फायदेमंद या नुकसान वाला
    हर तेल का एक स्मोक पॉइंट होता है. स्मोक पॉइट वह टेंपरेचर होता है जो तेल को गर्म करने पर नुकसान पहुंचाने वाले तत्व को निकाल देता है. इसलिए पूड़िया तलने या सब्जी बनाने के लिए अधिक स्मोक पॉइंट वाला तेल इस्तेमाल करना सही होता है. इन्हें पकाने के लिए तेल को देर तक गर्म करना पड़ता है, जबकि सब्जी पकाने के लिए तेल को ज्यादा देर तक गर्म नहीं करना पड़ता है. इसलिए सब्जी बनाने के लिए कम स्मोक पॉइंट वाला तेल लेना ज्यादा बेहतर होता है. सलाद में किसी नॉर्मल तेल की जगह ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल डालना अच्छा माना जाता है.
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    इस तरह के तेल को ले सकते तलने वाले काम में
    सरसों, राइस ब्रान, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी का तेल हाई स्मोक पॉइंट वाले होते हैं. इनमें भी सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट सबसे ज्यादा होता है. इसलिए इसमें तलने वाली चीजें बनाना बेहतर होता है.

     

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