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    जानिए दाल बाफला और बाटी में क्या है फर्क?

    विधि

    मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में घूमने जाएंगे तो वहां खाने में जो पहला नाम आपके जेहन में आएगा वो है पोहा, जलेबी और उसके बाद मालवा की शान दाल बाफला और बाटी. मालवा के बाफले इतने फेमस हैं कि देश-विदेश से लोग खाने आते हैं. या जो भी इंदौर और आसपास के जिलों में घूमने जाता है इनका स्वाद लिए बिना नहीं रह पाता. पर इन जगहों में दो चीजें मिलती हैं एक बाटी और दूसरा बाफला. लोग सोचते हैं कि आखिर दोनों में फर्क क्या है. तो भिया बाटी और बाफला में फर्क है. एक फर्क है जो दोनों को अलग करता है.
    - बाटी को कंडों या अवन में सेंका जाता है और बाफले को सबसे पहले उबाला जाता है फिर सेंका जाता है. हां, लेकिन दोनों के लिए दाल एक जैसी ही बनती है.
    - बाफले लड्डू और हरी चटनी के साथ परोसे जाते हैं. इसके साथ मिलने वाला लड्डू और चूरमा इसके स्वाद में चार चांद लगा देते हैं. खास बात यह है कि इंदौरी अगर पिकनिक में जाते हैं तो दाल, बाफला और लड्डू ही बनवाते हैं.
    (ये है मालवा की स्पेशल लड्डू बाफला थाली )
    - बाफला को उबालने और सेंकने के बाद घी में तला जाता है. अगर तला नहीं जाता तो फिर इतना घी डाला जाता है कि दबाने पर इनसे घी टपके. वहीं बाटी को सेंकने के बाद ऊपर से हल्का घी डाला जाता है. (ऐसे बनेंगी मुलायम बाटी )
    - बाफला खाने के बाद प्यास बहुत लगती है. कई रेस्टोरेंट वाले दाल बाफला के साथ छाछ भी देते हैं.
    - दाल बाफला की थाली में आलू की सब्जी, लहसुन मिर्च की चटनी, धनिया की चटनी, लड्डू और छाछ होती ही है. जबकि बाटी की थाली में दाल-बाटी, सलाद, लड्डू, खोपरा पाक से भी काम चल जाता है. (दाल-बाटी चूरमा )
    - वैसे बाफले शादी, शगाई, खास मौकों, पिकनिक और मेहमानों के आने पर बनाए ही जाते हैं. जबकि बाटी तो मालवा के लगभग हर घर में रविवार को बनती ही है. (अगर चाहते हैं पोहे में इंदौरी स्वाद तो देखें वीडियो... )
    - मालवा में यह शाही भोजन रतलाम, उज्जैन, इंदौर, शाजापुर, माहिदपुर, रतलाम, आगर मालवा, धार, खंडवा, देवास में आपको खाने को मिलेगा.
    - वहीं इंदौर में राजहंस भोजनालय सराफा बाजार, नखराली ढाणी, चोखी ढाणी, सरवटे बस स्टैंड के पास के होटलों और अपना स्वीट्स में यह मालवी शाही भोजन आपको मिल जाएगा.
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