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    क्यों खील-बताशे से की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा?

    दीपावली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है. इनकी पूजा में खील बताशे अवश्य रखे जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी की पूजा खील बताशों से ही क्यों की जाती है.

    विधि

    दीपावली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है. इनकी पूजा में खील बताशे अवश्य रखे जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी की पूजा खील बताशों से ही क्यों की जाती है.

    दीपावली धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति का त्योहार है. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन कर जीवनभर धन-संपत्ति की कामना की जाती है. खील-बताशे का प्रसाद किसी एक कारण से नहीं बल्कि उसके कई महत्व हैं, व्यावहारिक, दार्शनिक, और ज्योतिषीय ऐसे सभी कारणों से दीपावली पर खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है. खील यानी धान मूलत: धान (चावल) का ही एक रूप है. खील चावल से बनती है और चावल उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी है. वैसे लक्ष्मी देवी को बेसन के लड्डू और भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.

    दीपावली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी को फसल के पहले भाग के रूप में खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं. खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी है. दीपावली धन और वैभव की प्राप्ति का त्योहार है और धन-वैभव का दाता शुक्र ग्रह माना गया है. शुक्र ग्रह का प्रमुख धान्य धान ही होता है. शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हम लक्ष्मी को खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाते हैं. यही कारण है कि दिवली के दिन खील-बताशे चढ़ाये जाते है. जिससे मां लक्ष्मी की कृपा हम पर सदैव बनी रहे.

    ये भी है एक महत्वपूर्ण कारण
    ज्योतिषीय कारणों के साथ ही अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो भी यह काफी लाभप्रद है. श्राद्ध में सोलह दिन तक खीर-पूरी और अन्य पकवानों के बाद नवरात्रि में नौ दिन उपवास से हमारा हाजमा प्रभावित होता है, खील सुपाच्य होती है. इससे कमजोर हाजमा ठीक होता है. खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी होता है.

    लक्ष्मी पूजन मुहूर्त :
    अमावस्या तिथि आरंभ- दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से.
    अमावस्या तिथि समाप्त- 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पे.
    पूजा का शुभ मुहूर्त:
    14 नवंबर की शाम 05 बजकर 28 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
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