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    विरोधियों को भाषण से पानी पिलाने वाले अटल जी का ऐसा था खानपान

    आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया. काफी दिनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जब भी अटल जी का जिक्र होता है. हमारे जेहन में उनकी कविताएं, उनके भाषण और उनके खान-पान की ही चीजें याद आती हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को खाने में क्या-क्या पसंद था.

    विधि

    आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया. काफी दिनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जब भी अटल जी का जिक्र होता है. हमारे जेहन में उनकी कविताएं, उनके भाषण और उनके खान-पान की ही चीजें याद आती हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को खाने में क्या-क्या पसंद था.

    बहादुरा के लड्डुओं से नहीं छूटा मोह
    अपने भाषण से लोगों के दिलों में राज करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी खाने के बेहद शौकीन थे. ग्वालियर के बहादुरा के बूंदी के लड्डू हों या फिर दौलतगंज की मंगौड़ी, अटल जी के प्रिय व्यंजनों में से हैं. हर दुकान से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. बहादुरा के लड्डू उन्हें इसलिए भी पसंद थे क्योंकि वे ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी में जन्में और वहीं पले-बढ़े.

    पराठेवाली गली और मिठाइयों से गहरा नाता था
    प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से ग्वालियर के हलवाई के लड्डू, जलेबी और कचौड़ी का जायका नहीं गया. जब भी वे ग्वालियर जाते अपनी पसंदीदा चीजों को जरूर खाते. वहीं होली पर ठंडई और दिवाली पर मिठाई वे जरूर खाते थे. इसके अलावा अटल जी को चायनीज, खिचड़ी, खीर और मालपुआ उन्हें बहुत पसंद थे. वहीं दिल्ली में रहने के दौरान वे अक्सर पराठे वाली गली, सागर और चंगवा के यहां जाकर कुछ न कुछ जरूर खाते थे. मिठाई अटल जी के पकवानों की मेन्यू लिस्ट में हमेशा सर्वोपरि रही है. भांग के अटलजी शौकीन रहे हैं. उनके लिए उज्जैन से भांग आती थी.

    उज्जैन की ठंडई से लगाव
    ठंडई से तो उनका लगाव जगजाहिर है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी उनके इस शौक को कई बार मीडिया से साझा कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि जब वे (बाबूलाल गौर) मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष थे तो इंदौर से उज्जैन कार से अटल जी के साथ गए. उज्जैन में अटल जी कहने लगे, 'गोपाल मंदिर ले चलो. जब मैं उन्हें कार से ले जाने लगा तो कहने लगे तांगे में ले चलो. तांगे में कोई देख न पाए.' वहां पहुंचने पर उन्होंने तीन गिलास भांग मंगाई. दो गिलास खुद पी और एक गिलास मुझे दी.'

    आखिरी पलों में ऐसा था अटल जी का खानपान
    खान-पान के बेहद शौकीन अटल जी तबीयत खराब होने के बाद खिचड़ी खाने लगे थे. जैसे-जैसे उनकी हालत गिरती गई उनका खान-पान भी कम होता गया. अब सिर्फ वे लिक्विड डाइट ही लेते थे. सुबह चूरा किए हुए बिस्किट लिक्विड बनाकर दिए जाते थे. दोपहर का खाना भी लिक्विड ही होता था. इसमें उन्हें जूस, दूध, चूरा की हुई ब्रेड, सब्जियों का सूप दिया जाता था. जबकि डिनर में भी तयशुदा लिक्विड डाइट उन्हें दी जाती थी.

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