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    ये पकवान बढ़ाते हैं असमिया नया साल 'बोहाग बिहू' की शान

    विधि

    भारत के असम राज्य का मुख्य त्योहार है बिहू. इसे साल में तीन बार अलग-अलग तरीको से मनाया जाता है और तब इनके नाम भी अलग-अलग होते हैं जैसे अप्रैल में रोंगाली या बोहाग बिहू मनाया जाता है, कोंगाली या काटी बिहू अक्टूबर में और भोगली या माघ बिहू जनवरी में मनाया जाता है.

    बोहाग बिहू (বহাগ বিহু) जिसे रोंगाली बिहू भी कहा जाता है, यह असम का सबसे लोकप्रिय बिहू. यह एक तरह से असमिया नव वर्ष और वसंत के आने की शुरुआत के जश्न के तौर पर मनाया जाता है. हर साल 14 या 15 अप्रैल को यह पर्व मनाया जाता है.

    यह तारीख हिंदू सौर कैलेंडर का पहला दिन है और बंगाल, मणिपुर, मिथिला, नेपाल, उड़ीसा, पंजाब, केरल और तमिलनाडु में भी देखा जाता है. हालांकि हर जगह इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है.


    बोहाग बिहू का जश्न सात दिनों तक चलता है. पूरा पर्व उत्साह से भरपूर और दावत के साथ चलता है. किसान धान की खेती के लिए खेत तैयार करते हैं और चारों ओर हर्ष की अनुभूति होती है.

    कई तरह के पकवान आदि बनाए जाते हैं . महिलाएं पीठा, नारियल ले लड्डू आदि बनाती है. स्थानीय जनजातियों विभिन्न पेय भी तैयार किए जाते हैं जिन्हें परिवार और दोस्तों के साथ मिल बांटकर खाया-पिया जाता है.  पारंपरिक पेय जैसे च्यूए, ताई-अहोम द्वारा नाम-लाओ, मेपिंग जनजाति और जोल्पन द्वारा एपोंग आदि बनाए जाते हैं. खाने में चावल, दाल, चिकन, मटन, मिठाई, चटनी आदि सभी चीजें शामिल रहती हैं.


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