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    वजन कम करेगी, आपको फिट भी रखेगी ये डाइट

    कीटो डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों की प्राथमिकता होती है. इस डाइट से लिवर में कीटोन पैदा होता है. इस डाइट को कीटोजेनिक डाइट, लो कार्ब डाइट या लो फैट डाइट जैसे नामों से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाना खाने से शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का उत्पादन होता है इसे शरीर में फैट जमा होने लगता है.

    विधि

    कीटो डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों की प्राथमिकता होती है. इस डाइट से लिवर में कीटोन पैदा होता है. इस डाइट को कीटोजेनिक डाइट, लो कार्ब डाइट या लो फैट डाइट जैसे नामों से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाना खाने से शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का उत्पादन होता है इसे शरीर में फैट जमा होने लगता है.

    कीटोजनिक डाइट कई बीमारियों के इलाज और वजन घटाने के अपने दावे के कारण खूब प्रचलित हो रही है. वर्तमान में विभिन्न प्रकार की बीमारियों में संभावित चिकित्सा के रूप में इसका मूल्यांकन किया जा रहा है वहीं कुछ परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल सूजन कम करने वाली औषधि की तरह हो रहा है.

    साल्जबर्ग, ऑस्ट्रिया की पेरासेलसस मेडिकल यूनिवर्सिटी के बाल रोग विभाग की बारबरा कोफ्लर कीटोजेनिक डाइट को लेकर रिसर्च कर रही हैं. उन्होंने अपने रिसर्च में त्वचा की सूजन व बहुत अधिक वसा वाले पदार्थों पर कीटोजनिक डाइट के संभावित प्रभावों के बारे में बताया है और आहार में फैटी एसिड्स की संरचना के महत्व को उन्होंने रेखांकित किया है. कोफ्लर ने बताया कि, 'अच्छी संतुलित कीटोजेनिक डाइट जो मुख्य रूप से लंबी श्रृंखला वाले ट्राइग्लिसराइड्स (एलसीटी) जैसे जैतून का तेल, सोयाबीन का तेल, मछली, नट्स, अवोकेडो और मीट तक सीमित है, जो सूजन को कम नहीं करता.'

    यह अध्ययन 'इंवेस्टिगेटिव डर्मेटोलॉजी' के जर्नल में छपा है. कोफ्लर की मानें तो कीटोजेनिक डाइट में उच्च मात्रा में मध्यम-श्रृंखला ट्राइग्लिसराइड्स (एमसीटी) होते हैं जिनका सेवन विशेष रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के साथ सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि वे त्वचा में पहले से ही उपस्थित सूजन को अधिक बढ़ा सकते हैं. इस डाइट में नारियल तेल (उच्च मात्रा में एमसीटी) या फिश ऑइल (ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से समृद्ध) का उपयोग होता है. उपयोग सामान्य लोग कर रहे हैं क्योंकि ये स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव डाल रहे हैं. कीटो डाइट अपनाने से त्वचा फूलने जैसी समस्या नहीं होती है.

    क्या-क्या खाया जा सकता है?
    कीटो डाइट में वेज और नॉनवेज दोनों तरह की चीजें खाई जा सकती हैं. नॉन वेजिटेरियन कीटो डाइट में चिकन, मटन, मछली और अंडे शामिल कर सकते हैं. जबकि वेजिटेरियन खाना पसंद करने वालों को पत्तेदार साग जैसे पालक और मेथी का खूब सेवन करना चाहिए. ब्रोकली, फूलगोभी को भी अपने डाइट चार्ट में शामिल करना अच्छा रहेगा. इसके अलावा फैट के लिए पनीर, उच्च वसायुक्त क्रीम और बटर कीटो वेज डाइट में शामिल कर सकते हैं. कीटोजेनिक डाइट में अखरोट, सूरजमुखी के बीज, नारियल तेल, हाई फैट सलाद खाना फायदेमंद होता है. कीटोजेनिक डाइट में फैट का सेवन ज्यादा, प्रोटीन का मीडियम और कम कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें खाई जाती हैं. एक स्टैंडर्ड कीटो डाइट में 70 फीसदी फैट, 25 फीसदी प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होना चाहिए.

    क्या नहीं खाना चाहिए
    कीटो डाइट में अनाज को शामिल नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं चीनी का भी कम इस्तेमाल इस डाइट चार्ट में होता है. कीटो डाइट में सेब, केले और संतरा शामिल नहीं किया जाता है. सब्जियों में आलू और जिमीकंद का इस्तेमाल नहीं करने के लिए भी कहा जाता है. क्योंकि ये ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें होती हैं.

    क्या हैं कीटो डाइट अपनाने के फायदे
    कीटोजेनिक डाइट को मुख्य रूप से वजन घटाने में सबसे ज्यादा कारगर माना जाता है. कीटो डाइट में शामिल चीजें खाने से शरीर ऊर्जा के स्रोत के रूप में फैट का इस्तेमाल करता है. इस वजह से वजन घटता है. सोनाक्षी सिन्हा, आलिया भट्ट और अर्जुन कपूर जैसे सेलिब्रिटीज वजन कम करने के लिए कीटो फॉलो करते हैं.

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