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    एक ऐसा देश जहां चावल-सब्जियों में डाला जाता है सोना

    विधि

    भारत में सोने से आभूषण पहनने का बहुत चलन है. यह साज-सज्जा के साथ ही राजसी ठाठ-बाट और वैभव का भी प्रतीक माना जाता है. यहां सोने की कीमत लाखों में है, इसके पीछे इसकी मांग है, लेकिन एक ऐसा देश है जहां सोने को लोग खाते हैं. उनकी सब्जियों, चावलों और यहां तक वहां बनने वाली शराब बनाने में भी आंशिक रूप से सोने का इस्तेमाल होता है. यह पड़ोसी देश म्यांमार है जो कभी बर्मा के नाम पर जाना जाता था. पूर्वी देशों में इसे स्वर्णभूमी के तौर पर भी जाना जाता है.

    म्यांमार के शहरों और जमीनों पर सोने की परत सी चढ़ी हुई दिखती है. यहां स्तूप, मंदिर और पगोड़ा सुनहरे नजर आते हैं. इसकी खास वजह यहां सोने का उत्पादन है. इरावदी नदी इस स्वर्णभूमि के दिल से गुजरती है. इसके किनारे ही असली बर्मा या म्यांमार है. बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मांडले के आसपास की पहाड़ियों में सात सौ से ज्यादा स्वर्ण मंदिर हैं. बगान नाम के शहर के इर्द-गिर्द तो 2200 से ज़्यादा मंदिरों और पगोडा के खंडहर बिखरे हुए हैं. 11वीं से 13वीं सदी के बीच पगान साम्राज्य के दौर में यहां दस हजार से ज्यादा मंदिर हुआ करते थे. इसी दौर में बौद्ध धर्म का विस्तार पूरे म्यांमार में हो रहा था.

    मांडले के पेशेवर गाइड सिथु हतुन के मुताबिक, बर्मा की संस्कृति में सोने की बहुत अहमियत है. यहां अभी भी परंपरागत तरीके से ही सोने को तरह-तरह के रंग-रूप में ढाला जाता है. इस पर भी खास ध्यान दिया जाता है कि सोना पूरी तरह से शुद्ध हो और 24 कैरेट का हो. बांस की पत्तियों के बीच में सोने को रखकर सौ से दो सौ परतें तैयार की जाती हैं. फिर ढाई किलो के हथौड़ों से कम से कम 6 घंटे तक पीटा जाता है. ताकि ये सही आकार ले सकें. इसके बाद इन सोने की प्लेटों को पतले-छोटे एक-एक इंच के टुकड़ों में काटा जाता है.

    सोने की ये पत्तियां मंदिरों में चढ़ाई जाती हैं. सोने का इस्तेमाल परंपरागत दवाओं में भी होता है. यही नहीं, यहां की स्थानीय शराब में भी सोने के ये पत्तर डाले जाते हैं. स्थानीय लोगों में व्हाइट व्हिस्की बहुत फेमस है. इनकी बोतलों में सोने के पतले पत्तर डाल कर हिलाया जाता है. फिर इस सोने मिली शराब को गिलास में डालकर परोसा जाता है. सिथु हतुन की मानें तो खास मौकों पर बनने वाले चावल और सब्जियों में भी सोने के टुकड़े डाले जाते हैं.

    इतना ही नहीं लड़कियां सोने से श्रृंगार करने के अलावा केले और सोने के बने हुए फेस मास्क से चेहरे भी चमकाती हैं. यहां ऐसा माना जाता है कि सोना स्किन के अंदर जाता है तो उससे मुस्कान बेहतर होती है. म्यांमार में सोना खूब मिलता है. मांडले शहर के पास ही सोने की कई खदाने हैं. इसके अलावा इरावदी और चिंदविन नदियों की तलछट में भी सोना मिलता है.

    बर्मा के लोग बैंकों में बचत खातों की जगह सोना ख़रीदने को तरज़ीह देते हैं. छोटे से छोटे क़स्बे में सोने की दुकानें मिल जाती हैं. 948 में अंग्रेज़ों से आज़ाद होने के बाद से ही देश की अर्थव्यवस्था अस्थिरता और बाक़ी दुनिया से अलगाव के दौर से गुज़रती रही है. इसीलिए सोने में निवेश को लोग आज भी सब से सुरक्षित मानते हैं. दान करना, भारत की ही तरह बर्मा में भी एक अहम परंपरा है. लोग अनजान शख्स को भी खाने-खिलाने में यक़ीन रखते हैं. चाय-पानी तो कराते ही हैं. खाना भी खाकर जाने की ज़िद करते हैं. बर्मा के लोग सिर्फ देना जानते हैं, कुछ लेना नहीं.

     

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