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    दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली लोग क्यों खाते हैं नॉनवेज?

    व्रत या उपवास के दौरान ज्यादातर लोग नमक तक को हाथ नहीं लगाते, लेकिन बंगाली समुदाय में नवरात्रि व्रत में मांस-मछली का खाने का चलन है. इतना ही नहीं हिंदू समुदाय में भी कुछ लोग बलि स्वरूप मां को मांस चढ़ाते हैं. पर सवाल ये है कि बंगाली लोग दुर्गा पूजा के समय नॉनवेज क्यों खाते हैं.

    विधि

    व्रत या उपवास के दौरान ज्यादातर लोग नमक तक को हाथ नहीं लगाते, लेकिन बंगाली समुदाय में नवरात्रि व्रत में मांस-मछली का खाने का चलन है. इतना ही नहीं हिंदू समुदाय में भी कुछ लोग बलि स्वरूप मां को मांस चढ़ाते हैं. पर सवाल ये है कि बंगाली लोग दुर्गा पूजा के समय नॉनवेज क्यों खाते हैं.

    दरअसल, बात आस्था की है. बंगाली समुदाय के कुछ लोग नॉनवेज खाते हैं जबकि कुछ लोग ऐसा नहीं करते हैं. साथ इस समुदाय में खान-पान को लेकर कोई बंदिश भी नहीं है. इनकी मूर्ति पूजा और प्रसाद चढ़ाने की विधि भी दूसरे समुदाय की तुलना में अलग होती है.
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    बंगाली समुदाय में ऐसी मान्यता है कि शरदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा के दौरान देवी मां अपने बच्‍चों के साथ अपने मातृ ग्रह में कुछ दिन गुजारने आती हैं. बंगाली दुर्गा देवी मां को अपने परिवार का ही हिस्‍सा मानते हैं. इसलिए वो इस दिन मांस, मछली और मिठाई बनाते हैं और कई तरह के व्‍यंजन बनाते है क्‍योंकि वो इस मौके पर अपने परिवार के सदस्‍य को उनकी पसंदीदा चीज खिलाना चाहते हैं.

    वहीं एक दूसरी ऐसी भी मान्यता है कि दुर्गा पूजा के मौके पर विवाहित महिलाएं मछली या नॉनवेज तो खा सकती हैं उनके लिए कोई रोकथाम नहीं है, लेकिन इन दिनों बंगाली ब्राह्मण विधवा स्‍त्री को पारम्‍पारिक सात्‍विक भोजन ही करना होता है.

    ऐसा नहीं है कि सिर्फ बंगाली लोग ही नवरात्रियों में नॉनवेज खाते हैं बल्कि कई राज्‍यों में ब्राह्मण भी दुर्गा पूजा के दौरान मांस-मछली का सेवन करते हैं. लोक कथाओं की मानें तो वैदिक काल में हिमालयन जनजाति और हिमालय के आसपास रहने वाले समुदाय के लोग देवी की पूजा आराधना करते थे. उन लोगों का मानना था कि दुर्गा और चांडिका शराब और मांस का शाौक था. इसलिए उन्हें खुश करने के लिए वे लोग मांस और मदिरा उन्हें अर्पित करते थे.

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    इतना ही नहीं उत्तराखंड में दोनों नवरात्रियों के मौके पर ब्राह्मण देवी को खुश करने के लिए भैंसे की बलि देते हैं. इस मांस को प्रसाद स्वरूप अपने ही समुदाय के लोगों में बांटा जाता है. मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में देवी को बकरे की बलि चढ़ाकर खुश किया जाता है. जबकि राजस्थान का शाक्त सम्प्रदाय देवी की पूजा बकरे की बलि और शराब चढ़ाकर करते हैं.

     

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