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    लीची खाने से नहीं होता नुकसान, बल्कि होते हैं ये फायदे

    बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. कुछ लोग इस जानलेवा बीमारी का कारण लीची को ठहरा रहे हैं. लोगों का मानना है कि लीची खाने से बच्चों की मौत हो रही है. जबकि डॉक्टर्स और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. x

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    बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. कुछ लोग इस जानलेवा बीमारी का कारण लीची को ठहरा रहे हैं. लोगों का मानना है कि लीची खाने से बच्चों की मौत हो रही है. जबकि डॉक्टर्स और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

    जानकार कहते हैं कि लीची खाने से बीमारी नहीं होती है. अगर ऐसा होता तो बिहार की लीची पूरी दुनिया में एक्पोर्ट होती है. अगर एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार लीची खाने से होता है इसका असर दूसरी जगहों पर भी दिखता.

    इस बारे में मुजफ्फरपुर में मौजूद राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉक्टर विशाल नाथ का कहना है कि लीची को इंसेफेलाइटिस का कारण मानना गलता है. उन्होंने बताया कि, 'दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में लीची जैसा ही दिखने वाला 'एकी' नाम के फल के बीज में एमसीपीजी के ट्रेसेस पाए गए हैं. उनकी मानें तो वनस्पति विज्ञान की नजर में एकी और लीची 'सापंडेसिया' नामक एक ही प्लांट फैमिली से आते हैं. इसलिए जब बांग्लादेश में सेफेलाइटिस के कुछ मामले आना शुरू हुए तो इस पर शोध कर रहे कुछ बाल रोग विशेषज्ञों ने एक ही प्लांट फैमिली और फसल के एक ही मौसम की वजह से इसी 'लीची डीसीज' या 'लीची रोग' कहना शुरू कर दिया. जबकि लीची से इंसेफेलाइटिस के सीधे तौर पर जुड़े होने के कोई निर्णायक सबूत नहीं है. लीची के कुल तीन हिस्से होते हैं. छिलका, गूदा यानी पल्प और बीज. इनमे से खाने योग्य सिर्फ पल्प होता है.

     विशाल नाथ की मानें तो लीची का पल्प विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है. कच्ची लीची के बीज में एमसीपीजी की जिस बारीक मौजूदगी की बात की जा रही है, उसका कितना प्रतिशत हिस्सा फल के पल्प में होता है और कितना बीज या छिलके में, इसको लेकर अभी तक कोई निर्णायक शोध सामने नहीं आया है. इसलिए लीची को इंसेफेलाइटिस का मूल कारण बाताने वाले तर्क का न ही सतत (या कंसिसटेंट है) और न ही इसका कोई निर्णायक सबूत हैं'.

     अब इससे पता चलता है कि लीची चमकी बुखार की महामारी का कारक नहीं है. बल्कि लीची खाने से कई शारीरिक फायदे होते हैं. लीची खाने के क्या फायदे हैं ये यहां जान लीजिए. लीची विटामिन, मिनरल्स, एंटी-ऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर है. मौसमी फल होने की वजह से इस मौसम में इसे खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है. जानिए इसे खाने के क्या-क्या फायदे हैं.

     - लीची में मौजूद पोटैशि‍यम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है. इससे हृदय रोग की संभावना कम हो सकती है.
    - एंटी-ऑक्सीडेंट्स और विटामिन C से भरपूर लीची त्वचा को खूबसूरत बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं.
    - मेटाबॉलिज्म को भी नियंत्रित रखता है लीची का सेवन.
    - अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है लीची.
    - इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखता है.
    - कफ की शिकायत में भी लीची लाभकारी हो सकती है.
    - लीची और लीची का जूस वजन कम करने में भी मददगार है.

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