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    जान लीजिए हिमालयन गुच्छी मशरूम के फायदों के बारे में

    यूं तो दुनिया में बहुत सी वैरायटी के मशरूम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गुच्छी मशरूम की हो रही है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी भी इसे खाते हैं. तो हम बताते हैं क्या है इस मशरूम की कहानी. कैसे उगता है और क्या है इसकी खासियत.

    विधि

    यूं तो दुनिया में बहुत सी वैरायटी के मशरूम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गुच्छी मशरूम की हो रही है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी भी इसे खाते हैं. तो हम बताते हैं क्या है इस मशरूम की कहानी. कैसे उगता है और क्या है इसकी खासियत. दरअसल, मशरूम एक तरह का फंगस होता है. यह अपने आप उग जाता है. मशरूम दो तरह के होते हैं एक नॉर्मल जिसमें आमतौर पर बटन मशरूम होते हैं जबकि दूसरा मेडिसिनल पर्पज वाले जिसमें गुच्छी जैसी मशरूम की प्रजातियां शामिल हैं.

    इसे स्थानीय भाषा में गुच्छी नाम से जाना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा है. जानकार बताते हैं कि यह मधुमक्खी के छत्ते जैसी टोपी के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है. सेन्ट्रल एवं वेस्टर्न हिमालयी क्षेत्र के स्थानीय लोग इस मशरूम का इस्तेमाल कई सालों से स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप करते आ रहे हैं. लैटिन भाषा में इसे मोर्सेला एस्कुलेन्टा या मोरेल मशरूम के नाम से जाना जाता है. यह मशरूम हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खुद ही उगते हैं. वहीं कुमाऊ की दारमा घाटी, गढ़वाल की नीती घाटी में यह मशरूम मार्च में उगते हैं और अप्रैल एवं जून के महीने में स्थानीय लोग इन्हें तोड़ना शुरू कर देते हैं. यह कश्मीर की घाटी में भी उगती है.

    वहीं उत्तराखंड में मशरूम गर्ल के नाम से प्रसिद्ध दिव्या रावत का मानना है कि गुच्छी मशरूम एक तरह मेडिसिनल मशरूम है. इसकी सब्जी काफी स्वादिष्ट बनती है. यह 30 से 35 हजार रुपये प्रतिकिलो तक बिकती है. भारत में तो ये अपने आप उगती है, लेकिन विदेशों में इसकी खेती होती है. उन्होंने बताया कि सबसे महंगी मशरूम कॉर्डिसेप मिलिटरी है. यह वियतनाम, थाईलैंड, कोरिया, चीन में पाए जाते हैं. इनकी कीमत 3 लाख रुपये प्रतिकिलो तक है. वे खुद भी इसे उगाती और बेचती हैं.

    जबकि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की मानें तो सबसे महंगा मशरूम इटली में पाया जाता है. इसका नाम व्हाइट ट्रफल (टुबर मैगनेटम पिको) है. यह इटली के पिडमोंट, रोमाग्ना, टस्कनी और मार्चस में पाया जाता है. इसकी कीमत 3000 अमेरिकी डॉलर प्रतिकिलो है यानी भारतीय मद्रा के हिसाब से 1,93,320 रुपये.

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    आइए जानते हैं गुच्छी मशरूम खाने के क्या फायदे हैं और क्यों कहा जाता है इसे एक मेडिसिनल फंगस.
    - चीन में इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से शारीरिक रोगों/क्षय को ठीक करने के लिए किया जा रहा है.
    - गुच्छी मशरूम में 32. 7 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 17. 6 प्रतिशत फाइबर, 38 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट पाया जाता है. इसीलिए यह काफी हेल्दी होता है. (कड़ाही पनीर या चिकन नहीं, आज बनाइए हेल्दी कड़ाही मशरूम)
    - गुच्छी मशरूम से प्राप्त एक्सट्रैक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक सूजनरोधी दवा से की गई हैं. इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है.
    - इसके प्रायोगिक परिणाम ट्यूमर को बनने से रोकने और कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी हो सकते हैं.
    - गठिया जैसी स्थितियों होने वाले सूजन को कम करने के लिए मोरेल मशरूम एक औषधीय एक रूप में काम करती है.
    - ऐसा माना जाता है कि मोरेल मशरूम प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की संभावना को कम कर सकता है.
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    - वहीं आयुर्वेदार्यों की मानें तो मोर्सेला मशरूम का इस्तेमाल कामोत्तेजना बढ़ाने वाली औषधी के रूप में किया जाता है.
    - मोरेल मशरूम एक बढ़िया एंटी-ऑक्सीडेंट का काम कर सकता है.
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    इसके सेवन से थकान और शरीर में पाए जाने वाले हानिकारक प्रभावों कम किया जा सकता है.

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