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    कैसा होता है भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद?

    साल में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियों महीनों पहले शुरू हो जाती हैं. यह रथ यात्रा ओडिशा में मुख्य रूप में निकाली जाती है. इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद और कोलकाता में भी रथ यात्रा निकाली जाती है. इन रथ यात्राओं में लाखों की संख्या श्रद्धालू पहुंचते हैं और भगवान विष्णु के रथ को खींचकर आशीर्वाद लेते हैं.

    साल में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियों महीनों पहले शुरू हो जाती हैं. यह रथ यात्रा ओडिशा में मुख्य रूप में निकाली जाती है. इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद और कोलकाता में भी रथ यात्रा निकाली जाती है. इन रथ यात्राओं में लाखों की संख्या श्रद्धालू पहुंचते हैं और भगवान विष्णु के रथ को खींचकर आशीर्वाद लेते हैं.

    रथ यात्रा के साथ ही पुरी के जगन्नाथ का महाप्रसाद भी काफी चर्चित है. प्रसाद बनाने का तरीका आज भी पुराने जमाने का ही है. महाप्रसाद में भगवान जगन्नाथ को चावल, दाल, छेना रबड़ी, मिक्स वेज, दालमा चढ़ाया जाता है. बाद में इसी प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है.

    भगवान जगन्नाथ को दो तरह का प्रसाद चढ़ता है. अबाधा या संखुड़ी भोग प्रसाद जिसमें घी वाला चावल, दाल, दालमा, बेसारा, महुरा, साग, पीठा, कनिका खिचड़ी शामिल होती है. जबकि दूसरे तरह का प्रसाद सूखा होता है. इस सूखे प्रसाद में ज्यादातर मीठी चीजें शामिल होती हैं. इसे निसानखुड़ी भोग कहा जाता है. इसमें मुख्यरूप से गजा, खाजा, चाकुली, पुली, नड़ी, नाडु, चेडईनेडा, मनोहरा, झिल्ली, अरीसा, बल्लभ, मलापुआ और मथापुल्ली शामिल होती हैं. प्रसाद में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें और सब्जियां आसपास के बाजारों से ही लाई जाती हैं. खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ को चढ़ने वाले प्रसाद का कल्चर ओडिशा के खान-पान में रचा बसा है.

    इस प्रसाद को तैयार करने की कहानी भी अजब निराली है. जिस रसोई में यह प्रसाद पकता है वहां 32 कमरे हैं. रसोई तीन हिस्सों में बटी है. अन्ना चुली, पीठा चुली और टुना चुली या अहिया. यहां 250 चूल्हों में रोजाना प्रसाद पकता है. खास बात यह है कि एक चूल्हे पर एक के ऊपर एक 7 हांडी रखी जाती है और सबसे पहले सबसे ऊपर वाली हांडी का प्रसाद पकता है. इन हांडियों को अटका कहा जाता है. इनके नाम भी काफी रोचक हैं जैसे बाई हांडी, समाधी, बड़ामाथा कुडुआ, सना मथा कुडुआ, सना ताड़ा, बड़ा ताड़ा, आधार हांडी आदि. जबकि चूल्हे में लगने वाली आग को वैष्णब अग्नि कहा जाता है. रसोई में मीठा भोग प्रसाद तैयार करने के लिए शक्कर की जगह अच्छे गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. लहसुन-प्याज, आलू, टमाटर और फूलगोभी का इस्तेमाल प्रसाद बनाने में नहीं किया जाता है. यहां तैयार किए जाने वाले भोग प्रसाद को जगन्नाथ वल्लभ लाडू, माथपुली जैसे कई अन्य नाम रखे जाते हैं.

     

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