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    साईं बाबा को प्रसाद में क्या-क्या चढ़ाया जाता है?

    साईं बाबा की समाधि के 100 साल पूरे हो चुके हैं. इस अवसर पर साईं बाबा के मंदिर में 17 से 19 अक्टूबर तक खास समारोह हो रहा है. इस खास मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरडी में होने वाले भव्य आयोजन में शुक्रवार को शामिल होंगे.

    विधि

    साईं बाबा की समाधि के 100 साल पूरे हो चुके हैं. इस अवसर पर साईं बाबा के मंदिर में 17 से 19 अक्टूबर तक खास समारोह हो रहा है. इस खास मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरडी में होने वाले भव्य आयोजन में शुक्रवार को शामिल होंगे.

    साईं के अनुयायी और उन्हें मानने वाले पूरी दुनिया में हैं. साईं की समाधि के दर्शन के लिए लोगों का तांता शिरडी के साईं मंदिर में लगा रहता है. भक्त गुरुवार को साईं बाबा के लिए व्रत भी रखते हैं. बाबा से मुराद पूरी करने के लिए भक्त उन्हें तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं. बाबा भक्तों को मनचाहा फल भी देते हैं.

    ऐसी मान्यता है कि बाबा स्वयं भक्तों को गुरुवार एवं शुक्रवार को आराधना करने की सलाह देते थे. बाबा के अनुसार गुरुवार का दिन हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है और शुक्रवार का दिन इस्लाम में एक पाक दिन है, जिस दिन मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हैं.

    साईं बाबा ने हमेशा ही एकेश्वरवाद को बढ़ावा दिया, भक्तों ने उनके मुख से हरदम ‘सबका मालिक एक’ जैसे लफ़्ज़ सुने. इस आधार से वे सभी दिनों को एक बराबर ही मानते थे, लेकिन भक्तों की श्रद्धा देखते हुए उन्होंने गुरुवार के दिन प्रभु की आराधना को अधिक महत्व दिया. इसलिए भक्त इस दिन पूजा-पाठ और व्रत रखकर बाबा से अनेक मुरादें मांगते हैं.

    इस दिन लोग बाबा को खुश रखने के लिए पूर्ण विधि-विधान के साथ व्रत रखते हैं. कहते हैं कि साईं बाबा व्रत को कोई भी साधारण इंसान कर सकता है. ऐसी मान्यता है कि साईं बाबा व्रत एक बार शुरू करने के बाद नियमित रूप से 9 गुरुवार तक किया जाना चाहिए, तभी फलदायी साबित होता है.

    व्रत के दिन प्रात: स्नान करने के बाद साईं बाबा की फोटो की पूजा की जाती है. बाबा की फोटो लगाने के लिए पीले रंग का वस्त्र बिछाया जाता है और उनकी फोटो पर फूलों की माला भी चढ़ाई जाती है. बाबा की फोटो को स्वच्छ पानी से पोछ कर इस पर चंदन का तिलक भी लगाया जाता है. इसके बाद बाबा की फोटो के सामने अगरबती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़नी चाहिए और साईं बाबा का स्मरण करना चाहिए. इसके बाद बेसन के लड्डू या फिर किसी भी मिठाई का प्रसाद बाबा का भोग लगाकर सब में बांटा जाता है.

    अन्य व्रत की तरह बाबा के व्रत में भूखे नहीं रहना होता. व्रत को फलाहार ग्रहण करके किया जा सकता है, या फिर रात्रि के समय में भोजन करके खोला जा सकता है. इस व्रत में कुछ न कुछ खाना जरूरी है, भूखे रहकर इस व्रत को नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा को ‘पालक’ बेहद पसंद है, इसलिए भक्त गुरुवार के दिन बाबा को पालक का चढ़ावा चढ़ाते हैं. बाबा को प्रसन्न करने का दूसरा तरीका है उन्हें कुछ मीठा अर्पित करना.

    अक्सर बाबा के भक्त बाबा को मिठाई में हलवा चढ़ाते हैं, इसके अलावा बाबा को खिचड़ी भी अर्पित की जाती है. भक्त उन्हें खाद्य पदार्थ चढ़ाते हुए एक बात का जरूर ध्यान रखते हैं कि इन सभी में नारियल का इस्तेमाल जरूर हो. क्योंकि नारियल बाबा को बहुत पसंद है. गुरुवार के दिन पूजा करने के बाद बाबा को मीठे एवं ताज़े फल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

    इसके साथ ही ऐसा माना जाता था कि बाबा फूलों के प्रति बेहद लगाव रखते थे. वे अपने आसपास रंग-बिरंगे फूलों को देखकर बेहद प्रसन्न होते थे. फूल चाहे कोई भी हो, बस बाबा उन्हें देखकर खुश हो जाते थे. इसलिए भक्त गुरुवार के दिन बाबा को रंग-बिरंगे फूलों की माला अर्पित करते हैं.

     

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