जानिए क्यों और कैसे की जाती है छ्ठ पूजा, क्या है इसका महत्व

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छ्ठ बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत धूम-धाम से मनाया जाने वाला एक महापर्व है. यह कुल चार दिनों तक चलता है. इस पर्व पर छठी देवी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी नदी के तट पर सूर्य देव की अराधना की जाती है.
छ्ठ बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत धूम-धाम से मनाया जाने वाला एक महापर्व है. यह कुल चार दिनों तक चलता है. इस पर्व पर छठी देवी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी नदी के तट पर सूर्य देव की अराधना की जाती है.

छ्ठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और अंत चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से होता है. कार्तिक मास में सूर्य की पूजा की मान्यता है. कहा जाता है कि इस मास में सूर्य नीच राशि में होता है और इसी वजह से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है ताकि स्वास्थ्य की हर समस्याएं दूर हो जाएं.

छ्ठ पूजा का महत्व:
शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को की गई इस पूजा का संबंध संतान की आयु से होता है. यानी छ्ठ पूजा के दौरान सूर्य देव और षष्ठी की की गई पूजा से संतान और उसकी आयु दोनों का वरदान मिलता है. महिलाएं पुत्र प्राप्ति और अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं.

ऐसे होती है छ्ठ के चार दिन की पूजा:
- छ्ठ के पहले दिन की पूजा यानी नहाय-खाय के बाद से ही नमक छोड़ दिया जाता है. इस दिन महिलाएं नहा-धोकर खाना बनाती हैं.
- दूसरा दिन खरना के नाम जाना जाता है. खरना वाले दिन व्रती महिलाएं भूखे-प्यासे रहकर खीर का प्रसाद बनाती है. इस दिन बनाई गई खीर में चीनी के बजाय गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. शाम के समय इसे खाया जाता है और फिर होती है निर्जला व्रत की शुरुआत.
- तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य देकर ठेकुआ और फल का प्रसाद चढ़ाया जाता है.
- छ्ठ के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर कच्चा दूध और प्रसाद खाकर व्रत का समापन किया जाता है.