नवरात्रि व्रत के चौथे दिन ऐसी हो आपकी फलाहार थाली
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नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. कु का अर्थ होता है छोटा, इश का मतलब ऊर्जा और अंडा यानि ब्रह्मांडीय गोला. तो कुष्मांडा का अर्थ हुआ सृष्टि या ऊर्जा का छोटा सा ब्रह्मांडीय गोला. इस दिन मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं और किसी ब्राह्मण को दान कर दें. इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी.
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. कु का अर्थ होता
है छोटा, इश का मतलब ऊर्जा और अंडा यानि ब्रह्मांडीय गोला. तो कुष्मांडा
का अर्थ हुआ सृष्टि या ऊर्जा का छोटा सा ब्रह्मांडीय गोला. इस दिन मां
कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं और किसी ब्राह्मण को दान कर दें. इससे
बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी.
नवरात्रि के चौथे दिन के व्रत में शाम को अपनी फलाहारी थाली में अलग-अलग तरह के पकवानों से सजी थाली का आनंद ले सकते हैं. इसमें कुट्टू के आटे की पूरियां, साबूदाने का पापड़, केला अनार का रायता, मखाने की खीर, आलू की सूखी सब्जी, फलों का श्रीखंड, साबूदाना रबड़ी, खीरा-गाजर का सलाद आदि शामिल कर सकते हैं.
देवी कूष्मांडा को मलपुए का प्रसाद चढ़ाया जाता है तो आप भी अपनी फलाहारी थाली में मलपुआ रख सकते हैं. इसके अलावा मीठे में चीला भी रख सकते हैं.
ये है मालपुआ बनाने का सही तरीका...
एक कप (125 ग्राम) गेहूं का आटा
एक चम्मच सौंफ पिसी हुई
आधा छोटा चम्मच इलायची पाउडर
एक बड़ा चम्मच कद्दूकस किया नारियल
आधा कप चीनी
तीन बड़े चम्मच दूध
घी तलने के लिए
- मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले दूध में चीनी डालकर एक घंटे के लिए रख दें.
- तब तक एक बर्तन में आटा छानकर, इसमें सौंफ, इलायची और नारियल का बुरादा डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.
- जब दूध में चीनी घुल जाए, तो चीनी-दूध के घोल को आटे के मिश्रण में डालकर इसे एक चम्मच से फेंटते हुए मिलाएं.
- इस तरह आटे का न ज्यादा गाढ़ा, न ज्यादा पतला पेस्ट तैयार कर लें. यदि पेस्ट अच्छी तरह नहीं बना, तो इसमें थोड़ा पानी डालकर फेंट लें.
- अब एक कड़ाही में घी डालकर, उसे गैस पर गर्म करने रखें.
- घी गर्म होने के बाद गैस की आंच मध्यम करके, एक बड़े चम्मच में आटे का पेस्ट लेकर, उसे गोल पूरी के आकार में घुमाते हुए घी में डालें और पुआ फ्राई करें.
- मालपुआ दोनों तरफ से पलट कर लाल होने तक सेकें, इसी तरह से सभी पुए बनाएं और गर्मागर्म इनका मजा लें.
नवरात्रि के चौथे दिन के व्रत में शाम को अपनी फलाहारी थाली में अलग-अलग तरह के पकवानों से सजी थाली का आनंद ले सकते हैं. इसमें कुट्टू के आटे की पूरियां, साबूदाने का पापड़, केला अनार का रायता, मखाने की खीर, आलू की सूखी सब्जी, फलों का श्रीखंड, साबूदाना रबड़ी, खीरा-गाजर का सलाद आदि शामिल कर सकते हैं.
देवी कूष्मांडा को मलपुए का प्रसाद चढ़ाया जाता है तो आप भी अपनी फलाहारी थाली में मलपुआ रख सकते हैं. इसके अलावा मीठे में चीला भी रख सकते हैं.
ये है मालपुआ बनाने का सही तरीका...
एक कप (125 ग्राम) गेहूं का आटा
एक चम्मच सौंफ पिसी हुई
आधा छोटा चम्मच इलायची पाउडर
एक बड़ा चम्मच कद्दूकस किया नारियल
आधा कप चीनी
तीन बड़े चम्मच दूध
घी तलने के लिए
- मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले दूध में चीनी डालकर एक घंटे के लिए रख दें.
- तब तक एक बर्तन में आटा छानकर, इसमें सौंफ, इलायची और नारियल का बुरादा डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.
- जब दूध में चीनी घुल जाए, तो चीनी-दूध के घोल को आटे के मिश्रण में डालकर इसे एक चम्मच से फेंटते हुए मिलाएं.
- इस तरह आटे का न ज्यादा गाढ़ा, न ज्यादा पतला पेस्ट तैयार कर लें. यदि पेस्ट अच्छी तरह नहीं बना, तो इसमें थोड़ा पानी डालकर फेंट लें.
- घी गर्म होने के बाद गैस की आंच मध्यम करके, एक बड़े चम्मच में आटे का पेस्ट लेकर, उसे गोल पूरी के आकार में घुमाते हुए घी में डालें और पुआ फ्राई करें.
- मालपुआ दोनों तरफ से पलट कर लाल होने तक सेकें, इसी तरह से सभी पुए बनाएं और गर्मागर्म इनका मजा लें.