क्या है अन्नकूट का पर्व ,कैसे करते हैं इसकी तैयारी?

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कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के अलगे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. यह त्योहार गुकोल, मथुरा, वृंदावन आदि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा पर्व को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है. इस दिन गाय की पूजा की जाती है और उन्हें पकवान खिलाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है गाय में सभी देवी-देवता का वास होता है. इसलिए इस दिन गाय की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के अलगे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. यह त्योहार गुकोल, मथुरा, वृंदावन आदि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा पर्व को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है. इस दिन गाय की पूजा की जाती है और उन्हें पकवान खिलाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है गाय में सभी देवी-देवता का वास होता है. इसलिए इस दिन गाय की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

अन्नकूट का महत्व
अन्नकूट का मतलब होता है अन्न का समूह. पौराणिक कथाओं के अनुसार अन्नकूट की शुरूआत द्वापर युग में हुई थी. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन और गायों के पूजा के निमित्त पके हुए अन्न भोग में लगाए थे, इसलिए इस दिन का नाम अन्नकूट पड़ा. इस दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग चढ़ाएं जाते हैं.

अन्नकूट की पूजा
गोवर्धन की पूजा के लिए अन्नकूट बनाकर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. अन्नकूट तैयार करने के लिए कई तरह की सब्जियों का इस्तेमाल होता है. इसे बनाने के लिए मौसमी फल, सब्जियां और अन्न का इस्तेमाल करके प्रसाद बनाया जाता है. इतना ही नहीं प्रसाद को बनाने के लिए दूध, खोया और चावल से बने मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है.