कामिका एकादशी में क्या करें और क्या न करें
वहीं इस दिन भक्त व्रत भी रखते हैं. व्रत के दिन केवल सात्विक भोजन ही किया जा सकता है. इसमें प्याज, लहसुन, तला हुआ सामान और मांसाहार को छुआ भी नहीं जाता है. यह व्रत दशमी की शाम से द्वादश की सुबह तक रहता है. जब पारण किया जाता है तब व्रत खत्म होता है.
इसलिए रखा जाता है सावन सोमवार का व्रत, ये है महत्व
कैसे करें कामिका एकादशी का व्रत
कामिका एकादशी में साफ-सफाई का विशेष महत्व है. व्रती व्यक्ति प्रात: स्नानादि करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं. पंचामृत से स्नान कराने से पूर्व प्रतिमा को शुद्ध गंगाजल से स्नान करना चाहिए. पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल है. स्नान कराने के बाद भगवान को गंध, अच्छत इंद्र जौ का दान कर पुष्प चढ़ाना चाहिए.
इन चीजों से करें पूजा
धूप, दीप, चंदन आदि सुगंधित पदार्थों से आरती उतारनी चाहिए. नैवेद्य का भोग लगाएं. इसमें भगवान श्रीधर को मक्खन मिश्री और तुलसी दल अवश्य ही चढ़ाएं और अन्त में श्रमा याचन करते हुए भगवान को नमस्कार करें. विष्णु सहस्त्र नाम पाठ का जाप अवश्य करना चाहिए.
वट सावित्री व्रत, जानिए कैसा होना चाहिए व्रत में खान-पान?
इस व्रत में क्या खाएं
चावल व चावल से बनी किसी भी चीज के खाना पूर्णतया वर्जित होता है. व्रत के दूसरे दिन चावल से बनी हुई वस्तुओं का भोग भगवान को लगाकर ग्रहण करना चाहिए. इसमें नमक रहित फलाहार करें. फलाहार भी केवल दो समय ही करें. फलाहार में तुलसी दल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए. व्रत में पीने वाले पानी में भी तुलसी दल का प्रयोग करना उचित होता है.
क्या नहीं करना चाहिए
विद्वजनों की मानें तो कि व्रतधारियों को अनाज नहीं खाना चाहिए. उन्हें मंदिर में पूजा करने के लिए जाना चाहिए. साथ ही भगवान विष्णु को पीले कपड़े पहनाने चाहिए. इस दिन मंदिर के चारों ओर परिक्रमा भी की जानी चाहिए.
जानिए व्रत खोलने के तुरंत बाद क्या खाएं और क्या न खाएं