क्यों छलनी से चांद देखने के बाद ही खोला जाता करवा चौथ का व्रत?
करवा चौथ: क्या है सरगी, बाया और पोइया का महत्व
सरगी करवा चौथ के दिन दिया जाने वाला मुख्य भोजन होता है. सूर्योदय से पहले यानी लगभग 4-5 बजे सास अपनी बहू को सरगी देती हैं. सरगी के साथ ही सास अपनी बहू भरपूर आशीर्वाद भी देती है जिससे बहू अपना ये व्रत अच्छे से पूरा कर सके. इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और चंद्र उदय के बाद चंद्रमा की पूजा कर इसका समापन किया जाता है.
जानिए क्या होता है करवा चौथ की सरगी की थाली में शामिल
क्या होता है सरगी में शामिल
सरगी की थाली में मिठाई, मठरी, फल, ड्राई फ्रूट्स, पूरी, कपड़े, गहने, सेवईं रखे जाते हैं. इन सभी चीजो को थाली में रखने का अपना-अपना महत्व होता है.
करवा चौथ का व्रत खोलने के बाद ये खाएं
क्यों देखते है छलनी से चांद
इस व्रत की कथा के अनुसार, एक बार किसी बहन को उसके भाइयों ने स्त्रेहवश
भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन
करवा दिया. इस तरह उसका व्रत भंग हो गया. इसके पश्चात उसने पूरे साल
चतुर्थी का व्रत किया और जब दोबारा करवा चौथ आया तो उसने विधिपूर्वक व्रत
किया और उसे सौभाग्य की प्राप्त हुई.
17 अक्टूबर को सुबह 6.48 बजे चतुर्थी शुरू होगी, जो अगली सुबह 7.29 तक रहेगी.
ये है पूजा और चंद्रर्शन का समय
पूजा का मुहूर्त शाम : 5:50 से 7:06 सुबह
व्रत समय: सुबह 6:21 से रात 8:18 बजे तक
उपवास का समय : 13 घंटे, 56 मिनट है.
चांद निकलने का समय : रात 8:18 बजे