नवरात्र के छठे दिन ऐसे करें देवी कात्यायनी की उपासना

offline
आज नवरात्र का छठा दिन है. नवरात्र के छ्ठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा अराधना की जाती है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं. इनका ध्यान गोधुली बेला में ही किया जाता है.

विधि

आज नवरात्र का छठा दिन है. नवरात्र के छ्ठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा अराधना की जाती है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं. इनका ध्यान गोधुली बेला में ही किया जाता है.

देवी कात्यायनी की आराधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शहद का भोग लगाकर मां कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है. देवी के पूजन में शहद का बहुत महत्व है. फल में इस दिन देवी को 6 अमरूद का प्रसाद भी लगाया जाता है.
एक कथा के अनुसार एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे. उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया. इसके पश्चात कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया. उनकी कोई संतान नहीं थी. मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की.

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया. कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया. तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और उसका वध कर दिया. कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया.

मां को शहद का भोग प्रिय है
षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है. इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है.

देवी कात्यायनी का मंत्र
सरलता से अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने वाली मां कात्यायनी का उपासना मंत्र है: चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना| कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||