क्या है भाई दूज की कथा और शुभ मुहूर्त ?

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भाई दूज का त्योहार रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें यम देवता से अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है.

 

विधि

भाई दूज का त्योहार रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें यम देवता से अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है.

भाई दूज की थाली
भाई दूज भी अलग-अलग जगह पर कई तरह से मनाया जाता है. कहीं पर बहन अपने भाई की हथेली पर चावल का लेप लगाकर, पान के पत्ते, सुपारी, चांदी का सिक्का आदि रखकर भाई दूज का मंत्र बोलती है, तो कहीं भाई के माथे पर तिलक करके उसके हाथों में खील, नारियल से भरी थाली रखकर भाई दूज की कथा सुनती हैं. आरती की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, पान, सुपारी, नारियल, फूल माला और मिठाई का होना बहुत जरूरी है.

क्या है भाई दूज की कथा?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा था. वह अपने भाई से मिलने के लिए बहुत व्याकुल थी. इसलिए यम ने इसी दिन यमुना को दर्शन भी दिए थे. उनके दर्शन पाकर यमुना बेहद प्रसन्न हुई और यम की खातिरदारी की, जिस वजह से यम ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करेगा उसकी लंबी उम्र होगी. इतना ही नहीं, भाई दूज के दिन बहन-भाई दोनों का एक साथ यमुना में स्नान करने का महत्व है.

भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त
29 अक्‍टूबर 2019
दोपहर 01.11 मिनट से दोपहर 03.23 मिनट तक
तिथि प्रारंभ: 29 अक्‍टूबर 2019 सुबह 06.13 मिनट
तिथि समाप्त: 30 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 03.48 मिनट तक