नरक चौदस के दिन काजल बनाने का क्या है महत्व?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कष्ण ने कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया था क्योंकि उसने 16 हजार लड़कियों को बंदी बना रखा था. नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त करवाने की वजह से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है.
धार्मिक मान्यता
दिवाली से कई तरह की मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इस दिन काजल बनाने की परंपरा चली आ रही है. ऐसा माना जाता है कि काजल के इस्तेमाल से बुरी शक्तियों का नाश होता है. इसलिए दिवाली की पूजा के दीपक से बनाया गया काजल आंखों में लगाने से बुरी नजर नहीं लगती और घर में सुख-समृ्द्धि बनी रहती है. कुछ लोगों का मानना है कि तिजोरी, घर का चूल्हा, अलमारी और दरवाजों आदि पर काजल का टीका लगाने से घर में बर्कत बनी रहती है.
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का मानना यह है कि दिवाली पर पटाखों के धुएं से आंखों में नुकसान पहुंचता है. इससे आंखें लाल होने लगती हैं और आंखों से पानी निकलने लगता है. इसलिए आंखों में काजल लगाने से धुएं का असर बेअसर हो जाता है और धुएं से आंखें सुरक्षित रहती हैं.