जनवरी में मनाए जाने वाले बिहू को इसलिए कहते हैं 'भोगाली बिहू'

offline
असम में बिहू का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. चूंकि साल का पहला महीना यानी जनवरी माघ का महीना होता है. इसिलए माघ बिहू (মাঘ বিহু) के नाम से जानते हैं. इस अवसर पर खान-पान की ढेर सारी चीजें बनाई और खाई जाती हैं जिस कारण इसे माघ बिहू के साथ-साथ 'भोगाली बिहू' (ভোগালী বিহু) भी कहा जाता है.
असम में बिहू का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. चूंकि साल का पहला महीना यानी जनवरी माघ का महीना होता है. इसिलए माघ बिहू ('Magh Bihu', মাঘ বিহু) के नाम से जानते हैं. इस अवसर पर खान-पान की ढेर सारी चीजें बनाई और खाई जाती हैं जिस कारण इसे माघ बिहू के साथ-साथ 'भोगाली बिहू' ('Bhogali Bihu', 'ভোগালী বিহু') भी कहा जाता है.
बता दें कि बिहू तीन तरह का होता है: भोगाली बिहू (माघ बिहू), काटी बिहू और रोंगाली बिहू. 

बिहू माघ के महीने में फसल की कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है. यह मकर संक्रांति का असम उत्सव है, जिसे एक सप्ताह तक मनाया जाता है. इस दौरान पूरे हफ्ते तरह-तरह के ट्रेडिशनल पकवान बनाकर खाए और खिलाए जाने की परंपरा है.


यह त्योहार दावतों और अलाव (आग जलाकर) के साथ मनाया जाता है. इसके अलावा इस दिन लोग बांस और घास-फूस का घर (झोपड़ी) तैयार करते हैं जिसे मेजी या भेलघर कहा जाता है. रात में लोग अलाव के आसपास इकट्ठा होकर कई तरह के पकवान बनाते हैं जिसे 'उरुका' कहते हैं. मेजी में भोजन खाया जाता है और अगली सुबह इन्हें जला दिया जाता है.


उत्सव में पारंपरिक असमिया खेल जैसे टेकेली भोंगा (पॉट-ब्रेकिंग) और भैंस लड़ाई भी शामिल होती है. पहले यह त्योहार पूरे माघ महीने तक मनाया जाता था इसलिए इसे माघ बिहू के नाम से जाना जाता था.


पकवानों में पीठा जिसमें तिल और नारियल का पीठा जरूर शामिल होता है. साथ ही नारियल के लड्डू, पुआ और काले तिल के लड्डू भी बनाकर खाए जाते हैं.