अब आपको मिलेगा मोबाइल वैन में लंगर

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आपने गुरुद्वारे में लंगर तो खाया होगा. यह सिख समुदाय की एक ऐसी परंपरा है जिसके जरिये भूखे लोगों को निःशुल्क खाना खिलाया जाता है. लंगर खिलाने की शुरुआत सिख समुदाय के पहले धर्मगुरु गुरु नानक जी ने 1481 में की थी. सिख समुदाय के सिद्धांतों की मानें तो लंगर एक निःस्वार्थ सेवा है. उनके लिए लंगर का मतलब भूखे लोगों को ताजा और गर्म खाना खिलाना ही नहीं बल्कि प्रभू की अरदास से कम नहीं है.

विधि

आपने गुरुद्वारे में लंगर तो खाया होगा. यह सिख समुदाय की एक ऐसी परंपरा है जिसके जरिये भूखे लोगों को निःशुल्क खाना खिलाया जाता है. लंगर खिलाने की शुरुआत सिख समुदाय के पहले धर्मगुरु गुरु नानक जी ने 1481 में की थी. सिख समुदाय के सिद्धांतों की मानें तो लंगर एक निःस्वार्थ सेवा है. उनके लिए लंगर का मतलब भूखे लोगों को ताजा और गर्म खाना खिलाना ही नहीं बल्कि प्रभू की अरदास से कम नहीं है.
अब आप सोच रहे होंगे कि हम लंगर की बात क्यों कर रहे हैं. इसमें ऐसा क्या खास है, तो जनाब आपको बता दें कि लंगर को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के लिए अमृतसर गुरुद्वारा ने एक नया तरीका निकाला है. गुरुद्वारा ने अब मोबाइल लंगर की शुरुआत की है. जिसके जरिये वह शहर में जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएगा. इसकी जानकारी हमें सोशल मीडिया के द्वारा मिली. मशहूर कॉमेडियन अतुल खत्री ने अमृतसर एयरपोर्ट पर अमृतसर गुरुद्वारा की मोबाइल लंगर गाड़ी देखी और उसे फोटो के साथ अपने एकाउंट में पोस्ट किया है.

अतुल खत्री ने अपने फेसबुक पेज पर इस पहल की प्रशंसा करते हुए लिखा कि, ' मैंने जब इस गाड़ी को एयरपोर्ट के सिक्योरिटी जोन में देखा तो मुझे बड़ी हैरानी हुई. मैंने सोचा एक हॉकर यहां कैसे आ गया? पर जब मैंने लोगों से पूछा कि ये क्या है, तब जवाब मिला कि ये गुरुद्वारा की तरफ से मोबाइल लंगर है. वो लोग टैक्सी और सिक्योरिटी वाले सबके पास जाकर उन्हें बड़े प्यार से खाना खिला रहे थे. ऐसा मैंने पहली बार देखा है. सिख समुदाय का भगवान भला करे.'

इस पहले भी एक सोशल मीडिया साइट के एक पेज पर कुछ दिन पहले गुरुद्वारा में लंगर बांटते हुए एक मेसेज शेयर किया गया था, जिसमें लिखा था, 'कि चाहे दाल और सब्जियों की कीमतें कितनी भी बढ़ जाएं, गुरुद्वारा दुनिया का एकमात्र ऐसी जगह है जो किसी को भूखे पेट सोने नहीं देता.'