ओलंपिक में रसोइयों को भी मिलना चाहिए था एक पदक

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रियो ओलंपिक में जिस तरह खिलाड़ियों ने अपने हुनर का लोहा मनवाया वो देखने लायक था लेकिन अगर यहां पर खाने की कोई प्रतियोगिता होती तो यहां के रसोइयों को भी एक पदक मिल जाता...

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अगर ओलंपिक खेलों में भूख मिटाने का कोई कॉम्पटीशन होता तो मशहूर रसोइए मासिमो बोटुरा और उनकी टीम को निश्चित तौर पर स्वर्ण पदक मिलता. बोटुरा और उनकी टीम को उनकी पाक कला के लिए ओलंपिक खेलों में तारीफें मिली. इसके अलावा बोटुरा की टीम को बचे हुए फूड आइटम को उपयोग लायक बनाने के लिए भी काफी प्रशंसा मिली है.

वह 'रेफेटोरियो गैस्ट्रोमोटिवा' नाम की योजना के तहत यह काम कर रहे थे जिसका मकसद गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना था. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के रसोइयों की यह टीम हर रोज हजारों वंचित तबके के लोगों के लिए भोजन पका रही थी, वो भी उन सामग्रियों को उपयोग में लाकर जो व्यर्थ फेंक दी जाती थी.

इटली के मशहूर रेस्टोरेंट ओस्टेरिया के मालिक के मुताबिक यह सिर्फ लोगों को खाने खिलाने की बात नहीं थी, बल्कि ये एक सामाजिक दायित्व हैं जो लोगों को खाना बर्बाद न करने के बारे में जागरुक करता है.