जब पोहे पर लग गया था बैन
विधि
चावल से तैयार होने वाला पोहा पूरे देश में अपनी पहचान इस कदर बना चुका है कि लोग इसे नाश्ते में खाने से नहीं चूकते. क्या आप जानते हैं कि सभी के फेवरेट पोहे की कोई इतिहास भी हो सकता है? आइए जानते हैं पोहे के इतिहास की दिलचस्प कहानी.
कुछ लोग पोहे की तुलना दूध में डालकर खाने वाले Corn Flakes के साथ करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि Corn Flakes की खोज करने वाले kellogg's k brothers ने पोहे की खोज की थी. एक रिपोर्ट के अनुसार 1846 में जब भी भारतीय सैनिक पानी के जहाज से कहीं भेजे जाते थे तब उनके भोजन में पोहा शामिल होता था. पोहा चावल से बनता है. आज पोहा जितनी आसानी से मिल जाता है, पहले उतना आसान भी नहीं था. 1960 के दशक में भारत में चावल की कमी होने की वजह से एक बार इस पर बैन लगाना पड़ा था.
हालांकि, पोहे को देश के हर कौने में बड़े चाव से खाया जाता है, लेकिन अलग-अलग जगह पर इसे कई नामों से पुकारा जाता है. कहीं इसे चिवड़ा, चपटा चावल, चिड़ा, चिउरा, चिवड़ा, अवल, अटुकुल्लू नाम से जाता है. पोहा हर जगह इतना पसंद किया जाता है कि इसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है. इतना ही नहीं, लोगों में पोहे के लिए दीवानगी इस कदर है कि हर साल 7 जून को पोहा दिवस भी मनाया जाता है.
पोहा का जियोग्राफिकल इंडीफेशन (GI) टैग पाने के लिए इंदौरी मिठाई और नमकी निर्मत विक्रेती व्यापारी संघ ने आवेदन भी किया है.