कैसे कैफे कॉफी डे बन गया यूथ के लिए हैंगआउट प्लेस, क्यों है खास
विधि
1995 में दुनियाभर में कॉफी कल्चर को देखते हुए वीजी सिद्धार्थ ने कॉफी शॉप खोलने की योजना बनायी. cafe coffe day यानी (CC Day) की शुरुआत जुलाई 1996 में बेंगलूरू की ब्रिगेड रोड से हुई. इससे पहले उन्होंने कॉफी डे ग्रुप की शुरुआत 1993 में कर ली थी. इसके तीन साल उन्होंने पूरी तरह से रेस्टोरेंट कम कैफे की शुरुआत की. सीसीडी की टैगलाइन 'ए लॉट कैन हैपन ओवर कॉफी'' दरअसल इसकी पोजिशनिंग को अच्छी तरह स्पष्ट करती है.
इंटरनेट की पैठ और सीसीडी का उदय
इंटरनेट उन दिनों देश में पैठ बना रहा था. इंटरनेट के साथ कॉफी का मजा नई उम्र के लिए खास अनुभव था. जैसे-जैसे व्यावसायिक इंटरनेट अपने पैर फैलाने लगा, सीसीडी ने अपने मूल व्यवसाय कॉफी के साथ रहने का फैसला किया और देशभर में कॉफी कैफे के रूप में बिजनेस करने का निर्णय लिया. शुरुआती 5 वर्षों में कुछेक कैफे खोलने के बाद सीसीडी आज देश की सबसे बड़ी कॉफी रिटेल चेन बन गई है. इस समय देश के 247 शहरों में सीसीडी के कुल 1,758 कैफे हैं. खास बात यह है कि कंपनी फ्रैंचाइजी मॉडल पर काम नहीं करती और सभी कैफे कंपनी के अपने हैं. अक्टूबर, 2015 में कंपनी का आईपीओ भी आ गया. सीसीडे को अब तक 15 से ज्यादा अवॉर्ड्स मिल चुके हैं. सिद्धार्थ का कर्नाटक के ही चिकमंगलुर में खुद का कॉफी बगान है. नवंबर 2005 में कंपनी ने पहला कैफे वियना, ऑस्ट्रिया में खोला था.
क्या सोच थी सीसीडी खोलने के पीछे?
कैफे कॉफी डे की शुरुआत के पीछे उनके मन में युवाओं के मौज-मस्ती करने के लिए कॉफी पार्लर की शृंखला स्थापित करने की योजना थी. और हुआ भी कुछ ऐसा ही. आज देश भर में कैफे कॉफी डे, युवाओं के बीच सीसीडी (CCD) के नाम से रिफ्रेशमेंट का लोकप्रिय ब्रांड बन चुका है. कॉफी डे ग्रुप के पास हॉस्पिटैलिटी चेन द सेराई, फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म वे टु वेल्थ और सिकल लॉजिस्टिक्स का मालिकाना हक है. इसके पास आईटी आउटसोर्सिंग कंपनी माइंड ट्री में भी हिस्सेदारी है.
कॉफी के अलावा मेन्यू और क्या है खास?
मेन्यू में कॉफी, केक, लाइट ईट, बर्गर, रैप, सैंडविच, ब्रेड, पिज्जा, सिग्नेचर मील, होलसम सलाद, वेलनेस रेंज, सिपर एन चिलर्स जैसे ढेर सारे विकल्प थे. ये मेन्यू सीसीडी के अलग-अलग कैफे में अलग-अलग हो सकते हैं. सीसीडी के मुख्यतः चार तरह के कैफे होते हैं. एक्सप्रेस, स्क्वायर, नॉर्मल कैफे और गोल्ड रश. एक्सप्रेस कैफे शुरुआती कैफे होते हैं. यहां मेन्यू लिमिटेड होता है. हालांकि कॉफी की कीमत अन्य कैफे से कम होती है.
कैसे बनती है CCD की कॉफी?
CCD के ब्रू मास्टर के मुताबिक एक कप कॉफी बनाने के लिए 30 एमएल एक्सप्रेसो शॉट और 140 एमएल दूध का इस्तेमाल होता है. इसके बाद चोको पाउडर को ऊपर से छिडका जाता है. कॉफी के कप के ऊपर बना पत्ती, दिल या कोई और आकृति दरअसल ब्रू मास्टर की कला होती है. इसके लिए किसी मशीन या तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
ब्रू मास्टर इस तरह से कप में दूध डालते हैं कि ये आकृतियां खुद व खुद बन जाती हैं. कॉफी का स्वाद बढ़ाने के लिए सीसीडी आपको ऐड ऑन का विकल्प भी देता है यानी कुछ मनपंसद चीजें डालकर आप अपनी कॉफी का स्वाद और बढ़ा सकते हैं. मसलन, कोल्ड कॉफी में लोग आइसक्रीम डालकर खाना पसंद करते हैं. इसी तरह पिज्जा पर चीज की टॉपिंग कराकर आप इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं.
29 रुपये में मिल जाता है मसका मसाला बन
यहां खाने-पीने के सामान की कीमत अन्य कैफे की तुलना में कम होती है. मसलन, एस्प्रेसो कैफे में आपको 99 रुपए में कॉफी मिल जाती है, वहीं गोल्ड रश कैफे में कैपुचिनो का दाम 140 रुपए होता है. हाल में ही सीसीडी ने टोटली वर्थ इट मेन्यू नाम से नया मेन्यू लॉन्च किया है. इसमें खाने के सामान की शुरुआत 29 रुपए के मसका मसाला बन से होती है.
इसके अलावा 69 रुपए में क्रिस्पी वेग कुलचा, 99 रुपए में राजमा चावल, 149 रुपए में बटरी चिकल कीमा राइस जैसे ऑप्शन हैं. दूसरी कॉफी चेन से तुलना करेंगे तो कैफे कॉफी डे में खाने-पीने के सामान की कीमत किफायती लगेगी.