माइक्रोवेव के गर्म खाने से हो सकती हैं ये बीमारियां, स्टडी

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बिजी लाइफस्टाइल में हम चीजों को आसान बनाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं. इसी तरह से खाना बनाने के साथ ही हम दूसरे काम करना चाहते हैं. ऐसे में हम किचन में मौजूद माइक्रोवेव का सहारा लेते हैं. आजकल तो यह मीडिल क्लास फैमिली के किचन का एक जरूरी हिस्सा सा हो गया है. क्योंकि इसके बिना किचन में कुछ भी बनाना असंभव-सा लगने लगा है.

विधि

बिजी लाइफस्टाइल में हम चीजों को आसान बनाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं. इसी तरह से खाना बनाने के साथ ही हम दूसरे काम करना चाहते हैं. ऐसे में हम किचन में मौजूद माइक्रोवेव का सहारा लेते हैं. आजकल तो यह मीडिल क्लास फैमिली के किचन का एक जरूरी हिस्सा सा हो गया है. क्योंकि इसके बिना किचन में कुछ भी बनाना असंभव-सा लगने लगा है.
खाना गर्म करना हो, केक बनाना हो या फिर घर पर पिज्जा बनाकर बच्चों को खिलाना हो, सबकुछ माइक्रोवेव ने आसान कर दिया है. या यूं कहें कि आज के दौर में यह आवश्यकता-सा बन गया है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि माइक्रोवेव आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक भी हो सकता है. चौंकिए मत, यह हम हम नहीं कह रहे बल्कि एक स्टडी में खुलासा हुआ है.

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हाल में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ कि अगर माइक्रोवेव में प्लास्टिक के कंटेनर में खाना गर्म कर या बनाकर खाने से होने वाले बच्चे पर बुरा असर हो सकता है. इससे बने खाने से बच्चे को डायबिटीज, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने के साथ ही साथ महिलाओं में बांझपन और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है.

क्या कहती है स्टडी रिपोर्ट
अमेरिकन सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ के वैज्ञानिकों ने पाया कि प्लास्टिक के कंटेनर में खाना गर्म करके खाने वाले लोग हाई ब्लड प्रेशर के साथ मानसिक बीमारी के भी शिकार हो सकते हैं. इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
(प्लास्टिक की बोतल में पानी नहीं बल्कि जहर पी रहे हैं आप!)

इसका मुख्य कारण प्लास्टिक कंटेनर से निकलने वाले रसायन होते हैं जो माइक्रोवेव में हीटिंग के बाद कंटेनर से रिलीज होते हैं. प्लास्टिक कंटेनर हीट होने पर 95 फीसदी तक रसायन को रिलीज करता है. जो हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

क्या कहना है डॉक्टर का?
इंदिरा आईवीएफ अस्पताल नई दिल्ली की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. निताशा गुप्ता बताती हैं कि, 'प्लास्टिक के कंटेनर में सबसे खतरनाक रसायनों में बिस्फेनॉल ए होता है, जिसे आमतौर पर बीपीए और फाथालेट कहा जाता है. बीपीए खाने से हमारे शरीर में पहुंचता है और बांझपन, हार्मोनल चेंज, जेंडर चेंज और यहां तक कि विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का भी कारण बन सकता है.' इस रसायन से जानवरों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. भालू, हिरण, व्हेल और अन्य कई प्रजातियों में बांझपन इस रसायन के कारण होता है.

रोग नियंत्रण एंव रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की निगरानी समिति का भी मानना है कि भारत के लोगों में बीपीए का स्तर बढ़ रहा है, 90 प्रतिशत लोगों में बिस्फेनॉल के स्तर को पता करने की आवश्यकता है.

(कहीं आप भी प्लास्टिक के चावल तो नहीं खा रहे?)

कैसे करता है माइक्रोवेव
माइक्रोवेव अवन में माइक्रोवेव रेडिएशन के जरिए खाने में मौजूद मॉलिक्यूल (अणु) आपस में टकराते हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है और खाना जल्द बनता है. ये माइक्रोवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का हिस्सा हैं और नॉन-मेटल बरतनों से आसानी से पास हो जाती हैं. इसमें न किसी तरह की गंध होती है और न ही ये दिखती हैं. ऐसे में इन्हें पहचान पाना मुश्किल है. खास यह है कि माइक्रोवेव अवन ऑन करने पर ही रेडिएशन होता है और स्विच ऑफ करने पर रुक जाता है, लेकिन जब यह ऑन होता है तो शरीर को नुकसान पहुंचाता है.

कैसे बच सकते हैं इसके गंभीर परिणाम से
- पूरा खाना पकाने के बजाय सिर्फ गर्म करने के लिए इस्तेमाल करें.
- इस्तेमाल करते हुए दूरी बनाए रखें, क्योंकि इसकी वेव्स 12 सेंटीमीटर तक ही पहुंचती हैं.
- खाना गरम करते हुए बार-बार खोले नहीं क्योंकि तब वेव्स सीधे बॉडी पर असर करती हैं.
- अवन या माइक्रोवेव पुराना होने पर रेडिएशन मीटर से नियमित जांच कराएं.