किचन में खट्ठे-मीठे तानों के साथ और मजबूत होता है मां-बेटी का रिश्ता

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मां के हाथ का खाना किसे पसंद नहीं है पर किचन में खाना बनाते-बनाते मां ना जानें कितना कुछ सीखा जाती है. हर मां चाहती है कि वह अपने बच्चों के लिए बढ़िया से बढ़िया बनाकर खिलाएं. जहां किचन में वह खाना बनाती है वहीं एक ऐसा रिश्ता भी है जो किचन में और मजबूत होता है.

हम बात कर रहे है मां-बेटी के अनोखे रिश्ते की. आपने अकसर सुना होगा कि मां अपनी बेटी को खाने से लेकर खट्ठे-मीठे ताने देती रहती है. उन्हें हमेशा इस बात की टेंशन रहती है कि उनकी अलहड़ सी बेटी कब खाना बनाना सीखेगी. क्या वह कभी सही से रोटी-सब्जी बना पाएगी?

'खाना बनाना सीख लो, वरना तुम्हारी सास मुझे की कहेंगी', रोटियां गोल नहीं बनेंगी तो तुमसे शादी कौन करेगा या फिर 'शादी के बाद क्या अपने पति को मैगी खिलाओगी' कुछ ऐसे ही खट्ठे-मीठे तानों के साथ शुरू होती है मां- बेटी की किचन में बातें.

आज भले ही लाख कोशिशों के बाद भी खाने में मां वाला स्वाद ना आए, पर किचन में खाना बनाते समय मां की दी हुई सीख दुनिया की हर बेटी को जिंदगी भर याद रहती है. जो शिक्षा एक मां अपनी बेटी को किचन में देती है वह कहीं नहीं मिल सकती.

किचन में स्वादिष्ट और लजीज खाना सिखाने के साथ-साथ मां जिंदगी ठीक बनाने का तौर-तरीका भी सीखा जाती है. तभी तो कह सकते हैं कि किचन में और मजबूत होता है मां- बेटी का रिश्ता.