भोलेनाथ को करना है खुश, तो जरूर चढ़ाएं ये प्रसाद

offline
इस साल 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पड़ रही है. 21 की शाम 5 बजकर 20 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्त होकर चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और चतुर्दशी तिथि को ही शिवरात्रि मनाई जाती है.

विधि

इस साल 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पड़ रही है. 21 की शाम 5 बजकर 20 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्त होकर चतुर्दशी तिथि शुरू होगी. चतुर्दशी तिथि को ही शिवरात्रि मनाई जाती है.

शिवरात्रि का समय 21 फरवरी की शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरु होकर 22 फरवरी शनिवार की शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. रात्रि की पूजा का मुहूर्त शाम को 6 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.

शिवरात्रि के पावन पर्व पर पूजन से पहले शिवलिंग को स्नान करवाकर उसका अभिषेक करना जरूरी होता है. इसके लिए एक पात्र में केसर, दूध, दही, घी, इत्र, शहद, चंदन, भांग और चीनी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.

शिवरात्रि के दिन साफ और पूर्ण 1001 बेल पत्र रख लें. उस पर सफेद चंदन से राम-राम अंकित कर दें. अगर इतने बेल पत्र नहीं ले पाते हैं तो सिर्फ 11 ले सकते हैं. सभी पर भगवान शिव के पार्थिव की पूजा के दौरान एक-एक करके बेल पत्र अर्पित करें और हर बार भोलेनाथ के अलग-अलग नामों का उच्चारण करें. इस बात का ध्यान रखें कि अगले दिन के सूर्योदय से पूर्व पार्थिव का विसर्जन करना आवश्यक है. यानी चढ़ाई गई बेल पत्रों को विसर्जित कर देना चाहिए.

किन चीजों का भोग लगाएं?
सभी बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग लगाएं. इन तीन भोग प्रसाद को शिवजी को जरूर चढ़ाना चाहिए. बाकी प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें. ऐसी मान्यता है कि दही चढ़ाने वाले भक्त का स्वभाव गंभीर होता है. जबकि दूध चढ़ाने या अभिषेक करने से अच्छा स्वास्थ्य मिलता है. वहीं शक्कर चढ़ाने को सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है.