अगर श्राद्ध नहीं कर पाए तो पितरों के लिए करें आमान्न दान

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'आमान्न' दान यानी अन्न का दान. शास्त्रों के अुनसार अगर आप पितृ पक्ष में अपने पितरों के मोक्ष के लिए ब्राह्मणों को नहीं खिला पाते हैं तो आमान्न दान से श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं.

विधि

'आमान्न' दान यानी अन्न का दान. शास्त्रों के अुनसार अगर आप पितृ पक्ष में अपने पितरों के मोक्ष के लिए ब्राह्मणों को नहीं खिला पाते तो आमान्न दान से श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं.
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- इसके लिए आप किसी भी ब्राह्मण को अन्न, दाल, चीनी, नमक, कच्ची सब्जियां आदि देकर अपना श्राद्ध पूरा कर सकते हैं.
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- आमान्न को गांवों में 'सीदा या सीधा' भी कहा जाता है. इसे देने से ब्राह्मणों को खिलाने जितना फल मिल जाता है. ऐसी मान्यता है.
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- इसके अलावा शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जो आमान्न दान भी नहीं दे पाते हैं वो गाय को साग खिलाकर अपने पितरों का श्राद्ध पूरा कर सकते हैं.
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वहीं गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में पुत्र या पुरुष के न होने पर ये लोग तर्पण के अधिकारी हो सकते हैं. 
- परिवार में बड़े या छोटे पुत्र के न होने पर बहू या पत्नी को श्राद्ध करने का पूरा अधिकार है. 
- अगर पुत्र न हो तो बड़ी पुत्री या एक मात्र पुत्री भी अपने पितरों का तर्पण कर सकती है.
- अगर इनमें से कोई न हो तब सगा भाई, भतीजा, भानजा, नाती-पोता आदि कोई भी श्राद्ध कर्म पूरा कर सकता है.
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इसके अलावा रामायण में वनवास के दौरान सीता द्वारा राम-लक्ष्मण के साथ राजा दशरथ का श्राद्ध करने की बाते कही गई है.
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- यही नहीं ऐसी भी मान्यता है कि अगर गया में पितरों का श्राद्ध करें तो पति-पत्नी दोनों को एक साथ करना चाहिए, नहीं तो श्राद्ध का पूर्ण फल नहीं मिलता. (श्राद्ध पक्ष में खान-पान की इन बातों का रखें खास ख्याल)
- ऐसे में यह बात तो साफ है कि पुराने समय से लेकर अभी तक पितरों के लिए श्राद्ध या तर्पण में महिलाओं पर कोई पाबंदी नहीं लगी है. अगर परिवार में पुरुष न हो तो यह अधिकार महिलाओं को दिया जा सकता है.