क्रिसमस पर प्लम केक क्यों बनाया और खाया जाता है?
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हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इसे लोग अपने-अपने हिसाब से सेलिब्रेट करते हैं. लेकिन इस मौके पर केक खाने और वाइन पीने का रिवाज क्रिश्चन फैमिली में होता है. साथ ही क्रिसमस पर तरह-तरह के केक, पेस्ट्रीज, पाई आदि बनाए
जाते हैं. पर क्रिसमस को सबसे ज्यादा खास बनाता है प्लम केक.
विधि
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता
है. इसे लोग अपने-अपने हिसाब से सेलिब्रेट करते हैं. लेकिन इस मौके पर केक
खाने और वाइन पीने का रिवाज क्रिश्चन फैमिली में होता है. साथ ही क्रिसमस
पर तरह-तरह के केक, पेस्ट्रीज, पाई आदि बनाए
जाते हैं. पर क्रिसमस को सबसे ज्यादा खास बनाता है प्लम केक.
क्रिसमस प्लम केक या तो सूखे फल जैसे अंगूर, करंट, किशमिश या किसी के स्वाद और पसंद के आधार पर ताजे फलों के साथ बनाया जाता है. अधिकांश लोग केक में रम या ब्रांडी से भरे सूखे मेवे डालना पसंद करते हैं, जबकि कुछ बिना किसी शराब के केक बेक करते हैं.
लेकिन आइए जानते हैं कि क्रिसमस पर प्लम केक बनाने की परंपरा के पीछे की वजह क्या है? क्यों इसे माना जाता है इतना विशेष?
प्लम केक की कहानी मध्ययुगीन इंग्लैंड में शुरू हुई थी, जहां क्रिसमस आने के एक हफ्ते पहले से किसी भी तरह की दावत से उपवास, व्रत यानी फास्ट का पालन करना एक लोकप्रिय परंपरा थी. ऐसा कहना था कि उपवास आगे के दिनों के खान-पान के लिए शरीर को अच्छी स्थिति में रखेगा.
परंपराओं के अनुसार, क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक तरह का दलिया पकाया जाता था और इसे पेट भर खाया जाता था. यह दलिया ओट्स, सूखे मेवे, मसाले, शहद और कभी-कभी मांस के साथ तैयार किया जाता था, जिसे क्रिसमस पुडिंग भी कहा जाता था.
धीरे-धीरे लोगों ने एक ही सामग्री का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और क्रिसमस पर प्लम और अन्य सूखे फलों के साथ फलकेक बनाए. इसी तरह क्रिसमस पर प्लम केक बनाने की परंपरा शुरू हुई.