श्राद्ध में कौन-कौन से पकवान जरूर बनाने चाहिए

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पितृ पक्ष यानी की श्राद्ध के दौरान हर व्यक्ति अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए तर्पण, अनुष्ठान, ब्राह्मण भोजन आदि अलग-अलग विधि-विधान से कर्म कर के पितृ को तृप्त करते हैं. ऐसे में हमें अक्सर यह सुनने को मिलता है कि पूर्वजों के मोक्ष के लिए ब्राह्मणों को सादा और सात्विक भोजन करवाना चाहिए. मीठे में खीर-पूरी बनाया जाना अनिवार्य होता है. यह स्वाद से भरा और सात्विक भोजन माना जाता है. आइए बताते हैं कि आखिर ब्राह्मणों को खीर क्यों खिलाई जाती है.

विधि

पितृ पक्ष यानी की श्राद्ध के दौरान हर व्यक्ति अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए तर्पण, अनुष्ठान, ब्राह्मण भोजन आदि अलग-अलग विधि-विधान से कर्म कर के पितृ को तृप्त करते हैं. ऐसे में हमें अक्सर यह सुनने को मिलता है कि पूर्वजों के मोक्ष के लिए ब्राह्मणों को सादा और सात्विक भोजन करवाना चाहिए. मीठे में खीर-पूरी बनाया जाना अनिवार्य होता है. यह स्वाद से भरा और सात्विक भोजन माना जाता है. आइए बताते हैं कि आखिर ब्राह्मणों को खीर क्यों खिलाई जाती है.

पंडितों के अनुसार खीर सभी पकवानों में से उत्तम है. खीर मीठी होती है और मीठे खाने के बाद ब्राह्मण संतुष्ट हो जाते हैं जिससे पूर्वज भी खुश हो जाते हैं. पूर्वजों के साथ-साथ देवता भी खीर को बहुत पसंद करते हैं इसलिए देवताओं को भोग में खीर चढ़ाया जाता है.

खीर बनाना बहुत ही आसान है, इसे बनाने के लिए दूध और चावल आसानी से मिल जाता है इसलिए इसे बनाने में दिक्कत नहीं होती. यही कारण है कि खीर का प्रसाद और भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पितृ पक्ष मौसम परिवर्तन के समय आता है. इस समय शर्दियों की शुरुआत होती है और ऐसे में दूध और चावल से बनाई जाने वली पकवान हमारे लिए काफी लाभकारी होते हैं.

खीर न केवल खाने में अच्छी मानी जाती है बल्कि इससे हवन, अनुष्ठान आदि किये जाते हैं. यही नहीं खीर मीठे में के साथ कई चीजों का मिश्रण होता है इसलिए कई जगह मंदिरों में भगवान को खीर से स्नान करवाया जाता है. इसलिए श्राद्ध में खीर बनाना अनिवार्य बताया गया है.