जानें क्यों कार्तिक मास की नवमी को की जाती है आंवले की पूजा

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29 अक्टूबर रविवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस त्योहार को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
29 अक्टूबर रविवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस त्योहार को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
- ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करता है उसपर हमेशा वष्णु और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
- इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की छाया में बैठकर भगवान वष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए जिससे धन और सम्पत्ती में वृद्धि होती है.
- अगर आप सम्पत्ती या धन न होने पर परेशान हैं तो इस दिन घर में आवले का पेड़ लगाएं और इसकी छाया में ब्राह्मणों को खाना बनाकर खिलाएं.
- इस दिन आंवले के पेड़ की जड़ में दूध का अर्घ्य देना चाहिए जिससे अखंड सौभाग्य, आरोग्य व सुख की प्राप्ति होती है.
- आंवला प्राचीनकाल से ही स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी माना गया है. आंवले का सेवन किसी भी रूप में किया जाए लाभदायक ही होता है. च्यवन ऋषि ने आंवले से च्यवनप्राश का निर्माण कर देवताओं को चिर यौवन प्राप्त कराया था.
- इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को आंवले से बनी मिठाई जैसे आंवले का मुरब्बा आदि भोग लगा सकते हैं.
- इसके अलावा आंवला नवमी के दिन श्रद्घालुओं द्वारा विशेष तौर पर ब्राह्मणों को कुम्हड़ा दान किया जाता है. मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को बीज युक्त कुम्हड़ दान करने पर कुम्हड़े की बीज में जितने बीज होते हैं, उतने ही साल तक दानदाता को स्वर्ग में रहने की जगह मिलती है.

नोट:- यह आलेख धर्मिक मान्यताओं पर आधारित है. जिसे लोगों की रूची के लिए लिखा गया है.