कैसे अलग है पंजाब, राजस्थान और यूपी का करवा चौथ
विधि
पंजाब में करवा चौथ (Karwa chauth) लगभग फिल्मों जैसे तरीके से मनाया जाता है. यह कह लीजिए पंजाब के करवाचौथ को ही फिल्मों दिखाया जाता है. व्रत वाले दिन सुबह सरगी खाने के बाद शाम को कथा होती है. इसमें महिलाएं एक घेरे में बैठती हैं और कोई बुजुर्ग महिला या पंडिताइन व्रत की कथा सुनाती है. इस दौरान वे थाली फिराती हैं. इससे एक दिन पहले महिलाएं पूजा में इस्तेमाल होने वाले करवे और जरूरी चीजों की खरीदारी करती हैं.
पूजा खत्म होने के बाद सास अगर कहे तो महिलाएं पानी या चाय पी सकती हैं. फिर सास को पोइया दिया जाता है. शाम को छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा देखने के बाद करवाचौथ का व्रत पूर्ण होता है.
इसलिए अलग होता है राजस्थान में यह त्योहार
राजस्थान में करवा चौथ थोड़ा हटकर होता है. खासतौर पर पूजा अलग तरीके से होती है. यहां महिलाएं मिट्टी के करवे बनाकर उसमें गेहूं और चावल भरकर पूजा करती हैं. इस दिन वे शादी का जोड़ा पहनती हैं. राजस्थान में करवा चौथ को व्रत पूर्णिमा भी कहते हैं.
क्यों छलनी से चांद देखने के बाद ही खोला जाता करवा चौथ का व्रत?
उत्तर प्रदेश का करवा चौथ भी है उत्तम
उत्तर प्रदेश में भी करवा चौथ पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रखा जाता है. इस दिन घरों में खासतौर पर गौरी पूजन होता है. मिट्टी के दीयों का इस पूजा में खास महत्व होता है. वहीं चांद देखने से पहले घर में पूजा की जाती है.
गुजरात में भी करवा चौथ पूरे धूम के साथ मनाया जाता है. जबकि मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में इसकी परंपराएं लगभग उत्तर प्रदेश जैसी ही हैं. देश के बाकी हिस्सों में करवा चौथ फिल्मों के जैसे ही मनाया जाता है.