जंक फूड खाते हैं तो हो जाएं सचेत, कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा!

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भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे खान-पान का शेड्यूल बिगड़ जाता है. ऐसे में हम ब्रेकफास्ट से लेकर लंच और डिनर तक घर पर न करके फास्ट फूड से काम चला लेते हैं. इसी तरह एक दिन की मजबूरी धीरे-धीरे आदत बन जाती है और हम जंक फूड जैसी चीजों के आदी हो जाते हैं.

विधि

भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे खान-पान का शेड्यूल बिगड़ जाता है. ऐसे में हम ब्रेकफास्ट से लेकर लंच और डिनर तक घर पर न करके फास्ट फूड से काम चला लेते हैं. इसी तरह एक दिन की मजबूरी धीरे-धीरे आदत बन जाती है और हम जंक फूड जैसी चीजों के आदी हो जाते हैं.
देश में पैकेज्ड फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है. डिब्बाबंद चीजों का इस्तेमाल खाने से सहूलियत के लिए किया जाता है, लेकिन यह सेहत पर भी बहुत बुरा डालता है जिससे हम सभी अनजान हैं. इसी तरह जंक फूड (फास्ट फूड) भी खाने में टेस्टी तो लगता है, लेकिन यह टेस्ट बीमारियों दावत भी देता है. एक रिसर्च में भी यह सामने आया है कि जंक फूड खाने से 53% तक हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. वहीं इनमें न के बराबर न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं.
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केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि एक दशक में आसानी से तैयार हो जाने वाले पैकेटबंद फूड के बाजार में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसके साथ ही कूड़ेदान में प्लास्टिक का भी बोझ बढ़ा है. रही-सही कसर ढाबों में प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के रेडीमेड बर्तनों ने पूरी कर दी है. इन चीजों के खाने के फायदे कम और नुकसान ज्यादा हैं.

जानकारों के मुताबिक पैकेज्ड फूड में बहुत ज्यादा सोडियम यानी नमक की मात्रा होती है. साथ ही बड़ी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, फ्रूटोज और ट्रांसफैट जैसे तत्वों की भी मौजूदगी होती है. ऐसे ज्यादातर उत्पादों में सेहत के लिए जरूरी विटामिंस विशेष रूप से विटामिन बी1 और विटामिन सी व मिनरल्स की कमी होती है. ऐसे खाद्य पदार्थो को तैयार करने की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है कि इनके पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं. प्रिजरवेटिव्स और रंग की मिलावट के कारण लोगों में आजकल समय से पहले अधेड़ दिखने की समस्या तेजी से हावी हो रही है, वहीं कैंसर जैसे घातक बीमारियों का खतरा भी ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बढ़ गया है.

पैकेज्ड फूड या जंक फूड खाने के क्या हैं नुकसान
- ज्यादातर लोग बच्चों को खुश करने के लिए बाजार में पैकेटों में मिलने वाले फ्रेंच फाइज, आलू टिक्की, चीप्स, कुकीज बिस्कुट आदि खिलाते हैं, लेकिन शायद शायद उन्हें पता नहीं होता है कि ये हेल्दी कम और हानिकारक ज्यादा होती हैं.
-डिब्बाबंद खानों को काफी लंबे समय तक प्रिजर्व किया जाता है. वहीं इन मौजूद खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जो कि शरीर के लिए हानिकारक होते हैं. पैकेट में मिलने वाली सब्जियां भी किसी तरह से सुरक्षित नहीं हैं.
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- तुरंत पकने वाले पैक्ड नूडल्स आजकल सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें मौजूद कई हानिकारक तत्व बीमारियों को न्योता दे सकते हैं. 100 ग्राम नूडल्स में 138 कैलोरी होती है जो चर्बी और दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार हो सकती है. वहीं इसमें मौजूद मैदा आंतों के लिए हानि पहुंचा सकता है.
-पैक्ड फूड फ्रेश न होने की वजह से इनमें पोषक पदार्थों की कमी होती है, साथ ही कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी ज्यादा होती है. पैक्ड केक, कुकीज, चिप्स और कैंडी जैसी चीजों में कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं. जिनके सेवन से लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.

-पिज्जा की एक स्लाइस में 151 कैलोरी होती है. यह शरीर को रोजाना मिलने वाले फैट का 28 फीसदी होता है. इससे मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है. जरूरत से ज्यादा सेवन करने से हदय संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है.
- वहीं बर्गर हाई कैलोरी फूड की कैटिगरी में आता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 100 ग्राम के एक हैमबर्गर में करीब 295 कैलोरी होती है. जिससे शरीर में चर्बी बढ़ने के खतरा भी बढ़ता है.
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- बर्गर में मौजूद तेल कोलेस्ट्रॉल और फैट को बढ़ावा देता है. इसमें मौजूद मैदे से आंत और हदय रोगों का जोखिम बढ़ता है. हाई ब्लडप्रेशर और किडनी के रोगों का खतरा भी बर्गर खाने से बढ़ता है.
- मोमोज के साथ मिलने वाला मेयोनीज सॉस कोलेस्ट्रॉल और फैट बढ़ाने का काम करता है. वहीं यह फ्रेश न होने से दूसरी गंभीर बीमारी को दावत भी दे सकता है.
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- पैक्ड फूड में मौजूद ट्रांसफैट की मात्रा सेहत के लिए हानिकारक होती है. यह ट्रांसफैट हाइड्रोजन गैस और तेल के मिश्रण से तैयार होता है. हालांकि प्राकृतिक रूप से यह ट्रांसफैट मांसाहार और दुग्ध उत्पाद में पाया जाता है. यह कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है. इससे मोटापे के खतरे के साथ धमनियों में चर्बी जमने की आशंका होती है.
- पैकेट बंद नूडल्स और सूप में काफी मात्रा में स्टार्च और नमक की मौजूदगी होती है. इसके अलावा मोनोसोडियम ग्लुटैमेट (एमएसजी) मात्रा मौजूद होती है. जिसे ज्यादा खाने से हानिकारक विकृति उत्पन्न होती है.

खरीदते वक्त क्या करें
- पैकेज्ड फूड या जंक फूड लेने से पहले पैकेट के लेबल को जरूर पढ़ लें. खाद्य पदार्थ की पौष्टिकता के ब्योरे पर विशेष ध्यान दें. मैनुफैक्चरिंग डेट, बेस्ट बिफोर, पैकेजिंग सील को अच्छी तरह से जांच-परख के बाद लें. जल्दबाजी में अपना नुकसान कर सकते हैं.
- डिब्बाबंद या जंक फूड पैकेट को एक बार खोलने के बाद खाद्य पदार्थ को पूरी तरह इस्तेमाल कर लें. इसे दोबारा इस्तेमाल के लिए फ्रिज में न रखें.
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- कई पैकेट बंद खाने में सोडियम की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है इसलिए खरीदते समय न्यूट्रीशिस फैक्ट्स जरूर चेक कर लें.
- पैकेट बंद खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता 6 माह से लेकर एक वर्ष तक बरकरार रखने के लिए इनमें प्रिजरवेटिव्स मिलाए जाते हैं. इसके कारण इनमें से एक विशेष गंध महसूस की जाती है.

क्या कहते हैं डॉक्टर
खान-पान को लेकर सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टर मोहम्मद जुबैर फरीद कहते हैं कि पैकेट बंद खाद्य पदार्थ में घर में बनाए जाने वाले भोजन के मुकाबले पौष्टिक तत्वों की कमी होती है. बहुत ज्यादा मात्रा में पैकेज्ड फूड खाने से नुकसान हो सकता है. इसलिए कोई खाद्य पदार्थ लेने से पहले उसकी गुणवत्ता, एक्पायरी डेट और उसमें मौजद विटामिन्स की मात्रा जांच लें.

जबकि डायबिटिक एजुकेटर और न्यूट्रिनिस्ट मोनिका अरोड़ा मानती हैं कि ऐसा नहीं है कि सभी प्रिजर्वेटिव फूड हानिकारक होते हैं. कई बार लोगों के पास ऑप्शन नहीं होते हैं जिसके कारण उन्हें पैक्ड फूड खाना पड़ता है. इसके पीछे यह भी कारण है कि घर के खाने को ज्यादा दिनों तक प्रिजर्व करके रखा नहीं जा सकता है. ऐसा खाना बहुत जल्दी खराब हो जाता है. वहीं किसी बीमारी से ग्रस्त पेशंट के पास खाने के ऑप्शन कम हो जाते हैं इसलिए उन्हें ऐसे फास्ट फूड खाना पड़ता है. अगर घर में हैं कोशिश करें कि घर का बना खाना ही खाएं.

 ( इस स्टोरी के माध्यम से हम यह नहीं कह रहे हैं सारे जंक फूड या फास्ट फूड खराब होते हैं. खाना या नहीं खाना आप पर निर्भर करता है. हम सेहत के लिहाज से आपको आगाह कर रहे हैं. आप जो भी खाना चाहें उसके लिए स्वतंत्र हैं. अपने डॉक्टर से भी सलाह ले लें.)