जानें क्यों की जाती है चित्रगुप्त की पूजा

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दिवाली के दो दिन बाद यम द्वितीया और भैया दूज पर्व के दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है. भगवान चित्रगुप्त इंसान के पाप-पुण्य का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं. इस दिन लोग सुबह नहा-धोकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर अपने आराध्य देवता को भी याद करते हैं और फिर एक सफेद कागज पर एक साल का पूरा हिसाब लिखकर भगवान के सामने रख देते हैं. इतना सब करने के बाद भगवान चित्रगुप्त को अदरक और गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

विधि

दिवाली के दो दिन बाद यम द्वितीया और भैया दूज पर्व के दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है. भगवान चित्रगुप्त इंसान के पाप-पुण्य का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं.
इस दिन लोग सुबह नहा-धोकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर अपने आराध्य देवता को भी याद करते हैं और फिर एक सफेद कागज पर एक साल का पूरा हिसाब लिखकर भगवान के सामने रख देते हैं. इतना सब करने के बाद भगवान चित्रगुप्त को अदरक और गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

ऐसे हुई भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति:
पुराणों के अनुसार जब ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की तब सभी जीवों के कर्मो का लेखा-जोखा रखने का कार्य यमराज को दिया था. मृत्यु एवं दण्ड देने का काम ज्यादा होने के कारण उनका कार्य जब प्रभावित होने लगा तब यमराज ने ब्रम्हा जी से एक योग्य मंत्री की मांग की. यह सुनकर ब्रम्हा जी ने उन्हें आश्वासन दिया और वर्षों के लिए तपस्या पर चले गए. करीबन हजारों वर्षों बाद उनकी काया से एक दिव्य पुरूष की उत्पत्ती हुई. ब्रम्हा जी ने आंख खोलते हुए दिव्य पुरुष को आर्शीवाद दिया और कहा कि मेरी काया से उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारी जाती कायस्थ होगी और तुम मेरे चित्र में गुप्त थे तो तुम्हारा नाम चित्रगुप्त होगा.

इसलिए की जाती है चित्रगुप्त की पूजा:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा की थी और चित्रगुप्त ने खुश होकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था. चित्रगुप्त की पूजा करने से गरीबी और अशिक्षा दूर होती है. माना जाता है कि ब्रम्हा जी ने देवताओं के यज्ञ के अवसर पर चित्रगुप्त को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त और उनकी कलम-दवात की पूजा करेगा उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी.

पूजा का शुभ मुहुर्त:
दोपहर 1:12 से 3:27 बजे तक है चित्रगुप्त की पूजा का शुभ मुहुर्त.

ऐसे करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा:
- सबसे पहले दीपक, चन्दन ,हल्दी, रोली अक्षत, दूब ,पुष्प व धूप अर्पित कर चित्रगुप्त जी की पूजा करें.
- फल, मिठाई और पंचामृत (दूध,घी कुचला अदरक ,गुड़ और गंगाजल ) का भोग लगाएं.
- पान और सुपाड़ी का भी भोग लगाएं.
- भोग लगाने के बाद परिवार के सभी लोग अपनी किताब, कलम, दवात आदि की पूजा कर भगवान चित्रगुप्त जी के सामने रखें.
- इसके बाद एक सफ़ेद कागज पर एप्पन (चावल का आटा , हल्दी, घी, पानी ) और रोली से स्वस्तिक बनाकर उसके नीचे पांच देवी देवतावों के नाम लिखें जैसे -श्री गणेश जी सहाय नमः, श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः, श्री शिवाय नमः आदि.