हरतालिका तीज 2020: इन चीजों को खाकर खोला जाता है व्रत

offline
ऐसा माना जाता है कि हरतालिका तीज का व्रत करवाचौथ से भी ज्यादा कठिन होता है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं बिना कुछ खाए-पीए यानी निर्जला व्रत रखती हैं. सुबह से शुरू होकर यह व्रत अगले दिन के भोर तक चलता है.

विधि

ऐसा माना जाता है कि हरतालिका तीज का व्रत करवाचौथ से भी ज्यादा कठिन होता है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं बिना कुछ खाए-पीए यानी निर्जला व्रत रखती हैं. सुबह से शुरू होकर यह व्रत अगले दिन के भोर तक चलता है.

दिन में जहां महिलाएं पारंपरिक पकवान जिसमें गुझिया, ठेठरा, मठरी बनाती हैं वहीं रातभर जागरण करती हैं. अगली सुबह पूजा-पाठ से निवृत्त होकर कढ़ी-चावल, जौ के सत्तू और इससे बने पकवान, प्रसाद में मिला खीरा खाकर व्रत खोलती हैं. यह कढ़ी भी प्याज की पकौड़े वाली न होकर बेसन के पकौड़े से बनती है. कहीं-कहीं लौकी और चने की दाल भी बनती है. जबकि उत्तर प्रदेश में जलेबा भी बनता है.

ऐसे की जाती है पूजा
हरतालिका पूजन प्रातः काल और प्रदोष बेला में होती है. पूजन के लिए मिट्टी अथवा बालू से शिव पार्वती जी और गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है. फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है. फिर रंगोली डालकर चौकी रखी जाती है. चौकी पर स्वास्तिक बनाकर थाली के साथ केले का पत्ता रखकर उसमें भगवान स्थापित किए जाते हैं. फिर कलश तैयार किया जाता है. सबसे पहले कलश का पूजन किया जाता है. कलश को जल से स्नान कराकर के रोली चंदन अक्षत चढ़ाया जाता है. फिर गणेश जी का पूजन किया जाता है. इसके बाद शिव और पार्वती जी का पूजन कर पार्वती जी का श्रृंगार किया जाता है. अगले दिन प्रातः काल पूजन करके पार्वती जी को सिंदूर अर्पित करके सिंदूर लगाया जाता है.

क्या खाकर खोला जाता है व्रत
यह व्रत दूसरे व्रत से बिलकुल अलग होता है. इसमें 16 से 18 घंटे तक व्रती निर्जला व्रत रखती हैं. पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद के रूप में मिला मौसमी फल, खीरा और मिठाइयां खास तौर पर खाया जाता है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह व्रत कढ़ी-चावल खाकर तोड़ा जाता है जबकि बिहार के कुछ हिस्सों में जौ के सत्तू से बने हलवे से खोला जाता है. अगर हलवा न बने तो सत्तू में गुड़ और घी मिलाकर खाया जाता है. इस दिन मुख्य रूप से मावा गुझिया, सूजी गुझिया, ठेठरा, खुरमी आदि मुख्य रूप में बनते हैं.

ये है शुभ मुहूर्त
इस बार हरतालिका तीज 12 सितंबर को मनाई जा रही है. भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है. पूजन शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6:15 से 9:20 तक है.