इसलिए मनाया जाता है पोंगल, बनता है ये खास प्रसाद

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पोंगल (तमिळ - பொங்கல்) तमिल हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इस साल 2020 में यह 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. इसकी तुलना नवान्न से की जाती है, जोकि फसल की कटाई का उत्सव होता है. तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ उफान या विप्लव होता है.

विधि

पोंगल (तमिळ - பொங்கல்) तमिल हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इस साल 2020 में यह 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. इसकी तुलना नवान्न से की जाती है, जोकि फसल की कटाई का उत्सव होता है. तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ उफान या विप्लव होता है.

तमिलनाडु में पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्योहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप और खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है. इस पर्व का इतिहास कम से कम 1००० साल पुराना है और इसे तमिळनाडु के अलावा देश के अन्य भागों, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर व अन्य कई स्थानों पर रहने वाले तमिलों पूरे उत्साह से मनाते हैं.

14/15 जनवरी का दिन उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है जिसका महत्व सूर्य के मकर रेखा की तरफ प्रस्थान करने को लेकर है. इसे गुजरात और महाराष्ट्र में उत्तरायण कहते हैं, जबकि यही दिन आंध्र प्रदेश, केरल व कर्नाटक (ये तीनों राज्य तमिलनाडु से जुड़े हैं) में संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है. पंजाब में यह लोहड़ी के नाम से जाना जाता है.

इस त्योहार का नाम पोंगल इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है वह 'पगल' कहलता है. इसे नए बर्तन में दूध, चावल, काजू, गुड़ आदि चीजों से बनाया जाता है. इस दिन विशेषतौर पर गन्ना की पूजा भी की जाती है.

तमिल भाषा में पोंगल का एक अन्य अर्थ निकलता है अच्छी तरह उबालना. दोनों ही रूप में देखा जाए तो बात निकल कर यह आती है कि अच्छी तरह उबाल कर बने प्रसाद का सूर्य देवता प्रसाद भोग लगाना. पोंगल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह तमिल महीने की पहली तारीख को आरंभ होता है.

इस दिन गायों और बैलों की भी पूजा की जाती है. किसान इस दिन अपने मवेशियों को नहलाकर उन्हें सजाते हैं. घर की पुरानी-खराब वस्तुओं और वस्त्रों को भी जलाया जाता है और नई वस्तुओं को घर लाया जाता है. कई लोग पोंगल के पर्व से पहले अपने घरों को खासतौर पर सजाते हैं.

पोंगल का त्योहार तमिलनाडु में पूरे उत्साह और जोश के साथ 4 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन को 'भोगी पोंगल' कहते हैं, दूसरे दिन को 'सूर्य पोंगल', तीसरे दिन को 'मट्टू पोंगल' और चौथे दिन को 'कन्नम पोंगल' कहते हैं. पोंगल के हर दिन लोग अलग-अलग परंपराओं और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है.