जानिए संक्रांति में क्यों खाए जाते हैं तिल-गुड़ के व्यंजन

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कोई भी त्यौहार हो उसमें कुछ खास व्यंजन बनाए जाते हैं और खाए जाते हैं. चाहे वो दिवाली हो या फिर होली, हर खास मौके पर कुछ न कुछ खास चीजें जरूर बनाई जाती हैं. इसे लोग परंपरा से भी जोड़कर देखते हैं. लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे मकर संक्रांति के मौके पर तिल-गुड़ से बनी चीजें क्यों खाई जाती हैं? अगर नहीं जानते हैं तो हम बता रहे हैं कि आखिर क्यों तिल-गुड़ का सेवन इस खास मौके पर किया जाता है.

विधि

कोई भी त्यौहार हो उसमें कुछ खास व्यंजन बनाए जाते हैं और खाए जाते हैं. चाहे वो दिवाली हो या फिर होली, हर खास मौके पर कुछ न कुछ खास चीजें जरूर बनाई जाती हैं. इसे लोग परंपरा से भी जोड़कर देखते हैं. लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे मकर संक्रांति के मौके पर तिल-गुड़ से बनी चीजें क्यों खाई जाती हैं? अगर नहीं जानते हैं तो हम बता रहे हैं कि आखिर क्यों तिल-गुड़ का सेवन इस खास मौके पर किया जाता है.

इस दिन क्यों खाते हैं तिल और गुड़
देश में हर त्योहार पर विशेष पकवान बनाने व खाने की परंपराएं भी प्रचलित हैं. इसी श्रृंखला में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल व गुड़ के पकवान बनाने व खाने की परंपरा है. कहीं पर तिल व गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं चक्की बनाकर तिल व गुड़ का सेवन किया जाता है. वहीं कई जगह तिल व गुड़ की गजक भी लोग खूब पसंद करते हैं, लेकिन संक्रांति के पर्व पर तिल व गुड़ का ही सेवन क्‍यों किया करते है इसके पीछे भी वैज्ञानिक आधार है.
सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है तब तिल व गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं, क्‍योंकि तिल में तेल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. जिसका सेवन करने से शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुंचता है और जो हमारे शरीर को गर्माहट देता है. इसी प्रकार गुड़ की तासीर भी गर्म होती है. तिल व गुड़ के व्यंजन सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं. यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से बनाए और खाए जाते हैं.

देश के अलग-अलग राज्यों में ये पकवान भी बनते हैं.
उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है. सूर्य की पूजा की जाती है. चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान में दी जाती है.
गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.
आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है.
तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है. घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है.
महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं.
पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है.
असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है.
पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है. धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है.

आइए जानते हैं क्या हैं तिल खाने के फायदे:
- तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है और दिल पर ज्यादा भार नहीं पड़ने देता यानी दिल की बीमारी दूर करने में भी सहायक है तिल.
- चूंकि तिल में भरपूर मात्रा में विटामिन और मिंरल्स पाए जाते हैं तो इसका सेवन कैंसर के खतरे को भी कम कर सकता है.
- तिल में मौजूद मैग्निशियम डायबिटीज के होने की संभावना को भी दूर कर सकता है. जिन्हें शुगर की बीमारी हो चुकी है उनके लिए भी बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है तिल खाना .
- तिल में पाया जाने वाला कैल्शियम , जिंक आदि हड्डियों को मजबूत बनाने में बहुत फायदेमंद है.
- फाइबर होने की वजह से तिल खाना पाचन क्रिया को सही रखता है और कब्ज की समस्या भी दूर होती है.
- शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखने में भी मददगार है तिल.
- बाल और त्वचा को मजबूत और सेहतमंद रखने के लिए रोजाना तिल का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है.
- तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देता है. इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है.
नोट:
- तिल का अत्यधिक सेवन पेट की दिक्कत भी पैदा कर सकता है, इसीलिए इसे ज्यादा नहीं बल्कि एक छोटा चम्मच खाना ही काफी है.