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    ये है चिकन के बटर चिकन बनने की कहानी

    विधि

    अगर आप उन लोगों में से हैं जो ये समझते हैं कि बटर चिकन पंजाब की देन है, तो एक बार इसे पढ़ लीजिए. जी हां, जो बटर चिकन दिल्ली के खाने की रौनक बढ़ाता है और हर किसी के जुबान पर छाया रहता है, दरअसल वह पेशावर से लाई गई रेसिपी है.
    बटर चिकन की कहानी आज से 100 साल पहले से शुरू होती है. विभाजन से पहले पेशावर (अब पाकिस्तान में ) की गलियों से मोका सिंह लाम्बा ने एक छोटे से रेस्टोरेन्ट में चिकन बेचने की शुरुआत की थी. उसके बाद उनके पोते कुन्दन लाल गुजराल चिकन को नए तरीके से बनाने लगे. चिकन को सीख में डालकर तंदूर में सेंका जाता फिर उसे दही और कई मसालों की ग्रेवी में डालकर पकाया जाता. (इससे पहले तंदूर में सिर्फ ब्रेड ही सेका जाता था) जिसे लोग बेहद पसंद करते थे. यहां से 'तंदूरी चिकन' नाम लोगों की जुबान पर आया.
    इसके बाद जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब गुजराल पाकिस्तान छोड़ भारत आ गए. दिल्ली के दरियागंज में उन्होंने अपना नया रेस्टोरेंट खोला, जिसका नाम मोती महल रखा था. उस वक्त यहां रोजाना पूरा चिकन नहीं बिक पाता था और बचे हुए चिकन से अगले दिन तंदूर का स्वाद उतर जाता था. ऐसे में उन्होंने इसे टमाटर की ग्रेवी, बटर और क्रीम से साथ बनाना शुरू कर दिया. इससे उनका बचा हुआ चिकन ज्यादा नरम होता और खाने में भी लज़ीज़ लगता. इसी तरह उनके इस मास्टर माइंड ने एक नए पकवान का इजात किया जो आज 'बटर चिकन' के नाम से दुनिया में मशहूर है.
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