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    जानिए कान्हा को क्यों चढ़ाया जाता है माखन-मिश्री का भोग

    ये तो सभी जानते हैं कि कृष्ण का स्वभाव बचपन से ही नटखट था. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि श्री कृष्ण अपनी अठखेलियों की वजह से वे पूरे गांव में जाने जाते थे. श्रीकृष्ण को बचपन से माखन पसंद था.

    विधि

    ये तो सभी जानते हैं कि कृष्ण का स्वभाव बचपन से ही नटखट था. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि श्री कृष्ण अपनी अठखेलियों की वजह से वे पूरे वृंदावन में जाने जाते थे. श्रीकृष्ण को बचपन से ही माखन पसंद था.
    मां यशोदा उन्हें खुदी माखन मिश्री बनाकर खिलाती थीं. लेकिन इतने से ही उनका पेट नहीं भरता था और वे पूरे गांव में जहां भी मक्खन निकाला जाता था, चुराकर खा लेते थे. इसी के कारण उनका नाम माखनचोर पड़ा और जन्माष्टमी के अवसर पर उन्हें भक्त माखन मिश्री का भोग लगाया जाने लगा.
    जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान श्री कृष्ण के लिए छप्पन भोग भी बनाया जाता है जिसमें 56 तरह की खाने की कई चीजें शामिल होती हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद इन सभी चीजों को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतधारी अपना व्रत तोड़ते हैं.

    क्या होता है 56 भोग में
    ऐसा माना जाता है कि छप्पन भोग में श्रीकृष्ण के पंसदीदा व्यंजन होते हैं जैसे अनाज, फल, मेवे, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और आठ प्रकार की आचार शामिल होती है. छप्पन भोग में सामान्य रूप से माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूड़ी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं. जो भक्त भगवान को छप्पन भोग प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं वे माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ा सकते हैं. क्योंकि यह श्रीकृष्ण का मुख्य भोग है. इसलिए आमतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को यही प्रसाद भोग के लिए चढ़ाया जाता है.
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