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    केसर पहचानने में नहीं खाएंगे धोखा

    केसर महंगे मसालों में से एक है. केसर के फूल का कलर जामुनी होता है. भारत में केसर और इसकी खुशबू हर जगह फैली हुई है. केसर की पैदावार सबसे ज्यादा पुलवामा में होती है. साथ ही जम्मू-कश्मीर के और कुछ जगहों पर लोग इसकी खेती करते हैं. अगस्त-सितंबर में इसे रोपा जाता है और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके फूल निकल आते हैं. केसर जिसकी कीमत भारत के बाजार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है. इसके महंगे होने का कारण इसकी कठिन खेती है. हम मार्केट से या फिर किसी फेरीवाले से केसर खरीद लेते हैं पर कई लोगों को असली-नकली केसर में फर्क पता नहीं चलता. हम बता रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स और ट्रिक्स जिससे असली और नकली केसर में फर्क किया या जा सकता है.

    विधि

    - गर्म पानी या दूध में केसर डालने पर अगर वह तुरंत रंग छोड़ दे, तो नकली है. असली केसर कम से कम 10-15 मिनट के बाद ही गहरा लाल रंग छोड़ता है.

    - असली केसर का स्वाद कड़वा होता है, केसर के धागों को मुंह मे डालने से अगर मीठा लगे तो समझ लीजिए कि ये नकली है.

    - केसर के कुछ धागों को पानी में भिगोइए,अगर यह पूरी तरह से रंग छोड़ दे और सफेद हो जाए तो नकली है.

    - पानी में एक छोटा चमच्च बेंकिग सोडा और केसर के कुछ धागे डालिए,अगर रंग पीला हो जाए तो ये असली है और अगर ये लाल हो जाए तो नकली है.

    - असली केसर सिर्फ सुगंध वाला होता है इसका कोई टेस्ट नहीं होता.

    - भींगी उंगलियों के बीच केसर को रगड़े, अगर कलर लाल, संतरी या पीला हो जाए तो केसर असली है.

    - केसर के धागे हमेशा सूखे होते हैं. पकड़ने से टूट जाते हैं.

    - गर्म जगह पर केसर रखने से यह खराब हो जाता है जबकि नकली केसर वैसा का वैसा रहता है.
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