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    Ahoi Ashtami 2019: क्यों खास है करवा चौथ वाला करवा?

    करवा चौथ पर करवे से पानी पिलाकर पत्नी का व्रत खुलवाया जाता है. यह करवा अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2019) के दिन बहुत खास हो जाता है. इसलिए इसे ऐसी सुहागिनें जिनके बच्चे होते हैं वो संभालकर रखती हैं.

    करवा चौथ पर करवे से पानी पिलाकर पत्नी का व्रत खुलवाया जाता है. यह करवा अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2019) के दिन बहुत खास हो जाता है. इसलिए इसे ऐसी सुहागिनें जिनके बच्चे होते हैं वो संभालकर रखती हैं.
    ऐसा माना जाता है कि अहोई माता की पूजा इसके बिना नहीं हो सकती है. साथ ही अहोई माता की पूजा करते वक्त थाली में चावल, मूली और सिंघाड़े का फल होना भी महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए जानते हैं क्या है करवे का महत्व और कैसे की जाती है अहोई माता की पूजा.

    क्यों की जाती है अहोई माता की पूजा?

    इस बार अहोई अष्टमी 21 अक्टूबर को है. इस दिन महिलाएं अपने बच्चे की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह ही होता है. पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. सुबह उठकर स्नान किया जाता है और पूजा के समय ही संकल्प लिया जाता है कि, 'हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लंबी आयु और सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं. अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें.' अनहोनी से बचाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है. अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है और साथ ही स्याहु और उनके सात पुत्रों का चित्र भी निर्मित किया जाता है. माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है. कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुप्पटे में बांध लेते हैं. सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं.

    किन बातों का ध्यान सबसे ज्यादा जरूरी है?

    ध्यान रखें कि यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए. इस करवे का पानी दिवाली के दिन पूरे घर में भी छिड़का जाता है. संध्या काल में इन चित्रों की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन पका खाना बनाया जाता है. पके खाने में चौदह पूरियों और आठ पूओं का भोग अहोई माता को लगाया जाता है. उस दिन बयाना निकाला जाता है. बयाने में चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं. लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दिया जाता है.

    कैसे करें अहोई माता की पूजा?
    अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं. इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है. पूजा चाहे आप जिस विधि से भी करें, पूजा के लिए एक कलश में जल भरकर जरूर रख लें. पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं. अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाएं. पूजा के पश्चात अपनी सास के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण कर व्रत खोलें.

    पूजा का शुभ मुहूर्त
    अहोई अष्टमी की पूजा 21 अक्टूबर 2019 को शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 1 घंटे 17 मिनट है.
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