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    Govardhan Puja 2018: ये हैं गोवर्धन पूजा का महत्व, चढ़ते हैं ये पकवान

    दीपावली की अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. दीपावली के अगले दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार का विशेष महत्व ब्रज में देखने को मिलता है. इस पर्व को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है. गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है और उन्हें पकवान खिलाए जाते हैं.

    यह है गोवर्धन पूजा से जुड़ा महत्व:
    कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था, जिसके नीचे गोप-गोपिकाएं सात दिन सुखपूर्वक रहे. सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा. इस दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है. इस दिन अनेक प्रकार के पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाता है.

    इस तरीके से बनाएं गोवर्धन और करें पूजा:
    कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाये जाने वाले इस पर्व के दिन बलि पूजा, मार्गपाली आदि उत्सवों को भी मनाने की परम्परा है. इस दिन भगवान को तरह-तरह के व्यंजनों के भोग लगाए जाते हैं और उनके प्रसाद का लंगर लगाया जाता है. इस दिन गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूलमाला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है. गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है. गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली चावल लगाकर पूजा के बाद परिक्रमा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है.

    ये है पूजा का शुभ मुहूर्त:
    गोवर्धन पूजा का मुहूर्त प्रातःकाल 6:42 से आरंभ होकर 8:51 बजे तक रहेगा. इसका दूसरा मुहूर्त दोपहर 3:18 से शाम 5:27 तक का है. इस दौरान आप अपनी पूजा अर्चना कर सकते हैं.

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