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    Akshaya Tritiya: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को चढ़ाएं यह भोग

    अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य हेतु, कोई नई वस्तु खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है. विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे इस तिथि में किए जा सकते हैं. इस दिन पितृपक्ष में किए गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है. अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं. इस दिन जहां सोना खरीदना शुभ माना जाता है. वहीं रसोई के लिए भी यह दिन बहुत फलदायी माना जाता है.

    विधि

    अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) एक ऐसी शुभ तिथि है जिसमें कोई भी शुभ कार्य हेतु, कोई नई वस्तु खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है. विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे इस तिथि में किए जा सकते हैं. इस दिन पितृपक्ष में किए गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है. अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं. इस दिन जहां सोना खरीदना शुभ माना जाता है. वहीं रसोई के लिए भी यह दिन बहुत फलदायी माना जाता है.

    - यह दिन रसोई एवं पाक(भोजन) की देवी मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन मां अन्नपूर्णा का भी पूजन किया जाता है और मां से भंडारे भरपूर रखने का वरदान मांगा जाता है. अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई और भोजन में स्वाद बढ़ जाता है. 

    - अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक माना जाता है. इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना में विलीन होते हैं. स्त्रियां अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत यानी चावल चढ़ाना चाहिए. शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती एवं चंदन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए. नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें. इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है.

    - अक्षय तृतीया के मौके पर वृन्‍दावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर की छटा देखते ही बनती है. अक्षय तृतीया के दिन इस मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है. सिर्फ अक्षय तृतीया के ही दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं. इस मंदिर में साल भर भगवान के चरण वस्‍त्रों और फूलों से ढके रहते हैं. मान्‍यता है कि अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करने से भक्‍त पर प्रभु की विशेष कृपा बरसती है और उसका मन आनंदित हो जाता है. बांके बिहारी को साक्षात राधा-कृष्‍ण का ही रूप माना जाता है.

    - अक्षय तृतीया के दिन मल्यागिरी चंदन को केसर के साथ घिसकर बांके बिहारी के अंग में लगाया जाता है. प्रभु इस दिन चरणों में पायल भी धारण करते हैं. इस दिन बांके बिहारी को सत्‍तू के लड्डू, शरबत, आम रस और ककड़ी का भोग लगाया जाता है. इसी दिन से ठाकुर की पंखा सेवा भी शुरू हो जाती है.

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