विधि
हिंदू धर्म मानने वाले लोगों के आस्था के प्रतीक हैं प्रभु श्रीराम. हर साल
रामनवमी पर बड़ी संख्या में लोग राम भगवान की पूजा करते हैं. पूरे 9 दिन
तक धूमधाम से रामनवमी का त्योहार मनया जाता है. इस दौरान लोग भगवान को उनके
मनपसंद भोग-प्रसाद चढ़ाते हैं.
पूरे चैत्र नवरात्रि में उपवास रखने वाले भक्त इस दिन बिना प्याज और लहसुन का बना सात्विक भोजन कर अपना व्रत खोलते हैं. खाने में राम नवमी पर भी पूरी, सूजी का हलवा और काले चने बनाए जाते हैं. वहीं कई लोगों के मन यह सवाल भी उठता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सीता माता क्या खाते थे?
इस सवाल का जवाब देने से पहले हम आपको यह बता रहे हैं कि भगवान श्री राम की पूजन में सफेद मिठाई और सफेद फल चढ़ाएं जाते हैं.
इतना ही नहीं भगवान श्रीराम को केसर भात, खीर, धनिए का भोग का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा उनको कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है. जैसा कि उनमें आस्था रखने वाले लोग चढ़ाते हैं.
ऐसी मान्यता है कि तनाव और क्लेश को कम करने के लिए श्री राम को लड्डू का भोग चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं और मन शांत होता है.
भगवान श्रीराम के भक्त हनुमानजी को हलवा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू या रोठ, डंठल वाला पान और केसर-भात चढ़ाया जाता है. इसके अलावा हनुमानजी को कुछ भक्त इमरती भी अर्पित करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति 5 मंगलवार कर हनुमानजी को चोला चढ़ाकर यह नैवेद्य लगाता है, तो उसके हर तरह के संकटों का अविलंब समाधान होता है.
अब यहां जानिए कि प्रभु श्रीराम वनवास के दौरान क्या खाते थे. तो इसका सीधा-सा जवाब है कि प्रभु श्रीराम ने वन में बहुत ही सादगीभरा तपस्वी का जीवन बिताया. वे जहां भी जाते थे 3 लोगों के रहने के लिए झोपड़ी बनाते थे. वहीं भूमि पर सोते, रोज कंद-मूल लाकर खाते और प्रतिदिन साधना करते थे. उनके तन पर खुद के ही बनाए हुए वस्त्र होते थे. धनुष और बाण से वे जंगलों में राक्षसों और हिंसक पशुओं से सभी की रक्षा करते थे.