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    नल के पानी से खाना बनाना किसी खतरे से कम नहीं

    अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो नल के पानी से खाना बनाती हैं तो समझ लीजिए आप भी अपने फैमिली मेंबर्स को नुकसान पहुंचा रही हैं. दरअसल, नल के पानी से बना खाना स्वाद तो दे सकता है, लेकिन यह आपके बच्चों या फैमिली मेंबर्स के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. ऐसा हम नहीं बल्कि एक रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.

    विधि

    अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो नल के पानी में खाना बनाती हैं तो समझ लीजिए आप भी अपने फैमिली मेंबर्स को नुकसान पहुंचा रही हैं. दरअसल, नल के पानी से बना खाना स्वाद तो दे सकता है, लेकिन यह आपके बच्चों या फैमिली मेंबर्स के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं. ऐसा हम नहीं बल्कि एक रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.

    दरअसल, एक शोध के मुताबिक, क्लोरामिन युक्त पानी और नमक प्रतिक्रिया कर ऐसे हानिकारक रसायनों का निर्माण करते हैं, जो सेहत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते. शोध दल ने ऐसे कई नए अणुओं का पता लगाया है जो बिल्कुल नए हैं और क्लोरामिन युक्त पानी व खाने में मौजूद आयोडीन युक्त नमक के बीच प्रतिक्रिया होने से बने हैं. पानी को साफ करने के लिए उसमें या तो क्लोरीन या क्लोरामीन के अणु मिलाए जाते हैं. रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, नल के पानी में मौजूद क्लोरीन या क्लोरामाइन्स आयोडीन नमक के साथ प्रतिक्रिया कर हाईपोआयोडस एसिड का निर्माण करते हैं, जो साधारण रूप से हानिकारक नहीं है. जब यह एसिड भोजन पकाते समय नल के पानी में मौजूद अणुओं और अन्य कार्बनिक (जैव) पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया करता है, तब इससे हानिकारक आयोडीनयुक्त कीटाणुनाशक (आई-डीबीपी) का निर्माण होता है.

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    हांगकांग यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ. शियांग्रु झांग के अनुसार, 'खाना बनाते समय बना आई-डीबीपी पर्यावरणीय रसायनविदों व इंजीनियरों के लिए बिल्कुल नया है.'

    रिसर्चर्स ने विभिन्न नलों के पानी के साथ विभिन्न तापमान व समय पर खाना बनाया और उसमें आयोडीन युक्त नमक मिलाकर जो आई-डीबीपी का निर्माण हुआ, उसका अध्ययन किया. अति आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर उन्होंने इस तरह से बने खाने में 14 नए अणुओं की पहचान की, जो अन्य की तुलना में 50-200 गुना अधिक खतरनाक हैं.

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    डॉ. झांग व शोध दल ने कहा कि लोगों को पानी को साफ वे स्वच्छ करने के लिए क्लोरामिन की जगह क्लोरीन का इस्तेमाल करना चाहिए और नमक के रूप में पोटाशियम आयोडाइड की जगह पोटाशियम आयोडेट का इस्तेमाल करना चाहिए.

    कम तापमान पर कम समय तक भोजन को पकाना भी आई-डीबीपी के निर्माण को सीमित करता है. यह शोध पत्रिका 'वाटर रिसर्च' में प्रकाशित हुआ था.

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