नवरात्र के सातवें दिन पूजी जाती है मां कालरात्रि. इस दिन को महा सप्तमी कहते हैं. अत्यंत शुभ होता है मां कालरात्रि का स्वरूप. इसी दिन मां दुर्गा का आवाह्न भी किया जाता है. देवी दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप दुष्टों का नाश करने वाला होता है. शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला होता है.
मां कालरात्रि ही वह देवी हैं जिन्होंने मधु कैटभ जैसे असुर का वध किया था. देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काले रंग का होता है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला होता है. इनका वर्ण अंधकार की भांति कालिमा लिए हुए है. देवी कालरात्रि का रंग काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है. इस दिन तंत्र साधना भी की होती है. मां कालरात्रि के गले में विद्युत की अद्भुत माला होती है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा होता है और मां का वाहन गधा है.
मान्यता है कि महा सप्तमी के दिन पूरे विधिविधान से मां कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को किसी बुरी शक्ति, भूत या प्रेत का भय नहीं सताता. इस बार महा सप्तमी 12 अप्रैल को है.
नवरात्रि के सातवें दिन महा पूजा की शुरुआत होती है जिसे महा सप्तमी के नाम से जाना जाता है. सप्तमी शब्द की उत्पत्ति सप्त शब्द से हुई है जिसका अर्थ है सात. सप्तमी की सुबह नौ तरह की पत्तियों से मिलकर बनाए गए गुच्छे की पूजा कर दुर्गा आवाह्न किया जाता है. इन नौ पत्तियों को दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक भी माना जाता है. नौ अलग-अलग पेड़ों के पत्तों को मिलाकर नवपत्रिका तैयार की जाती है. इस गुच्छे को नवपत्रिका कहते है. नवपत्रिका को सूर्योदय से पहले गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी के पानी से स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते है. इसे महासप्तमी के दिन पूजा पंडाल में रखते है.
बंगाल में इसे कोलाबोऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में नवपत्रिका पूजा धूमधाम के साथ की जाती है. इन इलाकों में पूजा पंडालों के अलावा किसान भी नवपत्रिका पूजा करते हैं. किसान अच्छी फसल के लिए प्रकृति को देवी मानकर उसकी आराधना करते हैं.
महास्नान के बाद ही मां दुर्गा की प्रतिमा को पंडाल में रखा जाता है. इस दिन मां की आंखें खुलती हैं.
इस के दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है. आप देवी को गुड़ के लड्डू का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं. इसे खुद भी खाएं और गरीबों को भी दान दें. गुड़ का आधा हिस्सा परिवार में बांटे और बाकी का आधा हिस्सा दान कर दें. ऐसा करने से माता की असीम कृपा प्राप्त होगी. वहीं ऐसी भी मान्यता है कि नवरात्र के सांतवे दिन मां कालरात्रि को 7 चीकू का प्रसाद लगाने से मनवांच्छित फल मिलता है.
शुभकामना को पूरा करेगा मां कालरात्रि का ये मंत्र
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से करनी चाहिए:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥