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    Chhath Puja 2019: उत्तर भारतीय आज से ये फल खाना कर देंगे बंद

    इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 31 अक्टूबर से हो रही है. आस्था के सबसे बड़े कुम्भ को किसी तपस्या से कम नहीं माना जाता है. छठ पर्व किसी कठिन साधना से कम नहीं है. आमतौर पर यह व्रत संतान की कुशलता के लिए मनाया जाता है.

    इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 31 अक्टूबर से हो रही है. आस्था के सबसे बड़े कुम्भ को किसी तपस्या से कम नहीं माना जाता है. छठ पर्व किसी कठिन साधना से कम नहीं है. आमतौर पर यह व्रत संतान की कुशलता के लिए मनाया जाता है.
    छठ से जुड़ी कई रोचक किस्से, कहानियां आपने सुनी होंगी. लेकिन एक ऐसी भी मान्यता है कि उत्तर भारत के लोग को इस पर्व से त्याग और समर्पण का भाव भी दिखाते हैं. इसलिए वे कई तरह के फलों का त्याग कर देते हैं. इन फलों को वे तब तक नहीं खाते जबतक छठ पर्व समापन नहीं हो जाता. आइए जानते है छठ पर्व से जुड़ी इस मान्यता के बारे में.

    छठ व्रत का पालन करने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है. कुछ परुष भी इसे मनाते हैं. छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है फिर खरना होता है और डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद यह व्रत खत्म होता है. चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है. भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग करना पड़ता है. पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रती फर्श पर एक कंबल या फिर चादर पर ही सोकर रात गुजारते हैं. इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं. पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई न हो. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ व्रत का पालन करते हैं.

    छठ पर्व का पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह 31 अक्टूबर को है. इस दिन सबसे पहले घर की सफाई की जाती है. खाना और प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी का नया चूल्हा बनाया जाता है. छठ व्रती नदियों के घाटों और तालाबों के किनारे परिवार समेत जाकर स्नान एवं पूजा अर्चना के साथ नहाय-खाय की रस्म को पूरा करते हैं. इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं. घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही खाना खाते हैं. भोजन में मुख्य रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का भात ग्रहण किया जाता है. वहीं प्रसाद में ठेकुआ बनाया जाता है. साथ ही गन्ना, श्रीफल, मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं.

    नहाय-खाय से पहले ही जिन उत्तर भारत के लोग इन फलों का छठ से कुछ दिन पहले ही खाना बंद कर देते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन फलों को डाला में रखा जाता है और बिना पूजा-पाठ के नहीं खाया जाता है. इन फलों में मुख्यत: पानी वाले फल होते हैं. जिसमें नारियल, शरीफा, गन्ना, मूली, सिंघाड़ा शामिल होता है.

    प्रतीकात्मक तस्वीरें

     

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