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    Chhath Puja 2019: कब होगी छठ पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त?

    छठ पूजा (Chhath puja 2019) का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को दिया जाता है. जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने की परंपरा छठ व्रतधारी निभाते हैं. आपको बता दें हिंदू धर्म में छठ ऐसा पर्व है जिसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अब सवाल उठता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?

    विधि

    छठ पूजा (Chhath puja 2019) का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को दिया जाता है. जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने की परंपरा छठ व्रतधारी निभाते हैं. आपको बता दें हिंदू धर्म में छठ ऐसा पर्व है जिसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अब सवाल उठता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?

    इसके पीछे मान्यता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य (chhath aragh) उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से विशेष तरह के लाभ होते हैं. इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है. लम्बी आयु मिलती है और आर्थिक सम्पन्नता आती है. इस समय का अर्घ्य विद्यार्थी भी दे सकते हैं. इससे उनको शिक्षा में भी लाभ की संभावना बढ़ जाती है. इस बार छठ का पहला अर्घ्य 2 नवंबर को दिया जाएगा. यानी शनिवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की पूजा होगी.

    छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहते हैं. इस दिन महिलाएं नहाए खाए के दिन सुखाए गए अनाज को चक्की में पिसवाती हैं. अनाज को मुंह में पट्टी बांधकर पीसा जाता है, ताकि अनाज पवित्रता बनी रहे. खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है और कच्चे चूल्हे पर रोटियां सेंकी जाती हैं. ठेकुआ बनाया जाता है. पूजा के बाद इस प्रसाद को व्रती महिलाएं भी खाती हैं. इस प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा बांटा जाता है.

    पहले दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद छठ डाला करती हैं. इस डाले में पांच तरह के फल, नई सब्जियां सहित गन्ना, शकरकंद, मूली, गाजर, अदरक रखे जाते हैं. इन सभी चीजों को बांस की डालिया (डाला) में रखा जाता है. कई जगह सूप का भी इस्तेमाल होता है. शाम को सूरज डूबने के बाद नदी या तालाब किनारे महिलाएं भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर सभी सामग्री अर्पित करती हैं. इस साल सूर्यास्त के बाद पूजा का शाम को 5:35:42 बजे है. इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

    छठ के आखिरी दिन व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. उस दिन सूर्योदय का समय 6 बजकर 34 मिनट बताया है. आखिरी दिन व्रती महिलाएं पूजा के लिए सुबह करीब 3-4 बजे उठ जाती हैं. स्नान करने के बाद वह उगते हुए सूर्य की पूजा करती हैं. महिलाएं सूरज उगने के आधे घंटे पहले से ही कमर तक गहरे पानी में खड़ी रहती हैं. उगते सूर्य की पूजा के साथ ही छठ पर्व समाप्त हो जाता है. इसी दिन महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.

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