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    दुनिया की सबसे उम्रदराज यूट्यूबर मस्तनम्मा की कहानी

    देसी-विदेशी खाने को बड़े ही रोचक तरीके से बनाने वाली मस्तनम्मा खाना बनाने वालों के लिए किसी शिक्षक से कम नहीं थीं. अपनी कूकिंग स्टाइल की वजह से इंटरनेट सेंसेशन रहीं मस्तनम्मा का साल 2018 में 107 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उन्होंने 4 दिसंबर को आखिरी सांस ली थी. आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के छोटे से गांव की रहने वाली मस्तनम्मा स्वादिष्ट खाने और काम करने के जज्बे को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा में रहती थीं.

    देसी-विदेशी खाने को बड़े ही रोचक तरीके से बनाने वाली मस्तनम्मा खाना बनाने वालों के लिए किसी शिक्षक से कम नहीं थीं. अपनी कूकिंग स्टाइल की वजह से इंटरनेट सेंसेशन रहीं मस्तनम्मा का साल 2018 में 107 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उन्होंने 4 दिसंबर को आखिरी सांस ली थी. आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के छोटे से गांव की रहने वाली मस्तनम्मा स्वादिष्ट खाने और काम करने के जज्बे को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा में रहती थीं.

    खुले खेत में बने किचन में मस्तम्मा मुंह में पानी वाली चीजें बनाती. साथ ही कुछ-कुछ कहानी भी सुनाती जातीं. 2016 में ब्रिंजल करी बनाने का उनका पहला वीडियो कंट्री फूड के यूट्यूब चैनल पर आया था. इस वीडियो को एक रात में 75 लाख यानी 7.5 मिलियन लोगों ने देखा था. एक दिन पहले तक गांव में मशहूर रही मस्तनम्मा दूसरे दिन यूट्यूब की सनसनी बन चुकी थीं.

    यूट्यूब पर कंट्री फूड नामक चैनल उनके पोते लक्ष्मण ने बनाया था. मस्तनम्मा के वीडियो डालने के बाद से ही कंट्री फूड चैनल को एक साल में ही 12 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर मिल गए थे. उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ मस्तनम्मा का खाने का बनाने का अनोखा अंदाज था. आज चैनल के 1.2 मिलियन सब्सक्राइबर हैं. मस्तनम्मा की अंतिम विदाई के वीडियो को भी लाखों लोग देख चुके हैं और उन्हें कमेंट करके विदाई भी दी है.

    मस्तनम्मा लकड़ी के चूल्हे पर भोजन पकाती थीं और इसके लिए वे केवल सूखी पत्तियों और लकड़ियों का प्रयोग करती थीं. वे चिकन बर्गर और केएफसी चिकन की पारंपरिक शैली भी बनाती थीं. 'एग इन टोमैटो' के अलावा उनके सबसे लोकप्रिय वीडियो 'वॉटरमेलन चिकन' है. इसे यूट्यूब पर एक करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. विश्वभर में यूट्यूब पर मस्तनम्मा के जबरदस्त प्रशंसक थे. मस्तनम्मा के फॉलोअर्स में भारत के अलावा अमेरिका, पाकिस्तान, यूके व मलेशिया के लोग शामिल हैं. वीडियो शूट के दौरान मस्तनम्मा की पोती उनकी मदद करती थीं. जबकि लक्ष्मण वीडियो शूट करता था.

    मस्तनम्मा को बचपन में एक परिवार ने गोद लिया था. उस परिवार में कोई बेटी नहीं थी. उसी परिवार ने ‘मस्तनम्मा’ नाम दिया था. हालांकि बचपन में ही मस्तनम्मा ने अपने नए परिवार के साथ रहने से मना कर दिया और अपने गांव वापस चली गई थीं. मस्तनम्मा की शादी 11 वर्ष हो गई थी और ठीक 11 वर्ष बाद यानी 22 साल की उम्र में वह विधवा हो गईं थीं. पति के गुजरने के बाद अपने पांच बच्चों का अकेले ही पालन-पोषण करना पड़ा. बच्चों और खुद का पेट भरने के लिए वह दिहाड़ी मजदूरी का काम करने लगीं. जीवन चल ही रहा था कि महामारी की चपेट में आकर उनके चार बच्चों की मौत हो गई. पांचवां बेटा जीवित तो रहा, लेकिन उसकी आंखें चली गईं थीं. पांचवे बेटे से हुआ लक्ष्मण ने मस्तनम्मा को एक अलग मुकाम तक पहुंचाया था.

    अब मस्तनम्मा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके खाना बनाने के वीडियो यूट्यूब पर आज भी उनके जिंदा होने का एहसास करा रहे हैं और कराते रहेंगे. क्योंकि मस्तनम्मा हमारे लिए वो चीजें अमर करके चली गई हैं.

     

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